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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र२१४ पृथ्वीकायिकादीनामौदारिकादिशरीरनि०, ४३५ तहा भाणियहा। तेयगकम्मयसरीरा जहा पुढविकाइयाणं तहा भाणियचा। वणस्लइकाइयाणं ओरालियवेउचियआहारगसरीरा जहा पुढविकाइयाणं तहा भाणियवा। वणस्सइकाइयाणं भंते! केवइया तेथगसरीरा पण्णत्ता? गोयमा! तेयगसरीरा दुविहा पक्षणता, जहा ओहिया तेयगकम्मयसरीरा तहा वणस्सइकाइयाणवि तेयगकम्मयसरीरा भाणियबा ॥२१॥
छाया-पृथिवीकायिकाला भदन्त ! शियन्ति औदारिकशरीराणि प्रज्ञतानि ? गौतम ! औदारिकशरीराणि द्विविधानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-बद्धानि च मुक्तानि च । एवं यथा औधिकानि औदारिकशरीराणि तथा भणितव्यानि । पृथिवीकायिकानां ___ अध्य सूचकार पृथिवीकायिक आदि जीवों में औदारिक आदि शरीरों की प्ररूपणा करने के निमित्त 'पुढविकाझ्याण' इत्यादि सूत्र कहते हैं-'पुढविकाझ्याण अंते ! इत्यादि।
शब्दार्थ-(पुढविकाहयाणं भते! केवइया ओरोलियसरीरा पण्णता?) हे भदन्त । पृथिवीकाधिक जीवों के औदारिक शरीर कितने कहे गये हैं? (गोथमा ! ओरालियसरीरा दुविहा पखवासा) हे गौतम ! औदारिक शरीर दो प्रकार के कहे गये हैं-(तं जहा) जैसे (बल्लियाय सुस्केल्लया य) एक बद्ध औदारिक शरीर और दूसरे मुक्त औद्रारिक शरीर (एवं जहा. ओहिया ओरालियसरीश तहा माणियव्या) यहा बद्ध 'औदारिक शरीर असंख्यात होते हैं-पर यह असंख्यातरूप प्रमाणता लघुतर असं.
હવે સત્રકાર પ્રથિવીકયિક વગેરે ના ઔદ્યારિક વગેરે શરીરની ५३५४। ४२१। भाटे 'पुंढविकाइयाणं' वगैरे सूत्र छ,
'पुढविकाइयाणं भंते ! त्यादि।
शहाथ-पुढविक इयाणं भते । केवइया बोरालियसरीरा पण्णत्ता!) . ભદન્તા પૃથિવીકાયિક જીવના ઔદારિક શરીર કેટલાં કહેવામાં આવ્યાં છે ? (गोपमा ! ओरालियसरीरा दुविहा पण्णत्ता) र गौतम! मोहरि शरी। मे मारनामा २०यां छे. (तं जहा) रभ (बद्धेल्छयाय मुक्केल्लया य) मे मद्ध मोहरि शरी२ म२ भाग भुत मोहरि शरी२ (एवं जहा ओहिया ओरालियसरीरा तहा माणियव्वा) सही सयात ३५ प्रमाता
अ० ५४