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मनुयोगद्वार एते सप्तस्वराः कुतो भवन्ति ? इत्यादि प्रश्नचतुष्टयपूर्वाणि तदुत्तराणि प्रोच्यन्ते
मूलम्-सत्त सरा कओ संभवंति ? गीयस्त का हवंति जोणी? कइ समया उस्सासा ? कइ वा गीयस्स आगारा ? ॥१॥ सत्त सरा नाभीओ हवंति, गीयं च रुइयजोणियं । पायसमा ऊसासा, तिण्णि य गीयस्स आगारा ॥२॥ आइमिउ आरभंता समुन्वहंता य मज्झगारंमि। अवसाणे तज्जवितो, तिन्नि य गीयस्स आगारा ॥३॥सू०१६६॥
छाया- सप्त स्वराः कुतः संभवन्ति ? गीतस्य का भवन्ति योनयः ? कति समया उच्छ्वासाः ? कति वा गीतस्य आकाराः ॥१॥ सप्तस्वरा नाभितो, भवन्ति, गीतं च रुदितयोनिकम् । पादसमाउच्छ्वासाः, त्रयश्च गीतस्य आ
ये सात स्वर कहां से होते हैं इत्यादि जो चार प्रश्न हैं उनका उद्भा वन करते हुए सूत्रकार उनका उत्तर देते हैं
"सत्तसरा कओ" इत्यादि।
शब्दार्थ-(सत्तसरा को संभवंति) प्रश्न-सात स्वर कहां से उत्पन्न होते है ? (गीयस्त का हवंति जोणी) गीत की जातियां क्या है ? (का समया उस्सासा?) गीत के उच्छ्वास कितने समय के प्रमाणवाले होते हैं (कति वा गीयस्स आगारा) गीत के आकार कितने होते है ?
उत्तर-(सत्तसरनाभीओ हवंति) सात स्वर नाभि से उत्पन्न होते हैं। (गीयं च रुपजोणियं) गीत रुदितयोनिक होता है। (पायसमा ऊसासा) पाद सम उच्छ्वास होते हैं । (गीयस्स तिणि आगारा) गीत के तीन
એ સાત સ્વરે કયાંથી પ્રગટ થાય છે વગેરે જે ચાર પ્રશ્નો છે તેમનું ઉદ્દભાવન કરતાં સૂત્રકાર તેમના જવાબમાં કહે છે કે
" सत्तसरा कओ" त्याह
शहाथ-(सत्तसरा कओ संभवंति) प्रश्न सात-१२। याथी पन याय छ १ (गीयास का हवंति जोणी) ताना अपत्ति स्थान या छ १ (कइसमया उस्सासा) जीतना वास सा समयना प्रमाणाणाय १(कति वागीयस्स आगारा) भीतना मा२। 2 डाय छे ?
उत्तर-(सत्त सर नाभोओ हवंति) सात २५२। नालियाची पन्न या ७. (गीयं च रुयजोणियं) भात उहित निसय छ (पायसमा उसासा)