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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १५९ त्रिकसंयोगनिरूपणम्
७६५ • ऊत्तर-औदयिक क्षायिक और पारिणामिक इन तीन भावों के संयोग से निष्पन्न हुमा सान्निपातिक नामका भाव इस प्रकार से है(उदइएत्ति मणुस्से खयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे) मनुष्य गति यह
औदयिक भाव है, क्षायिक सम्यक्त्व यह क्षायिक भाव है और जीव यह पारिणामिक भाव है । (एसणं से णामे उदयखहयपारिणामियनिप्फण्णे) इसप्रकार यह औदयिक क्षायिक पारिणामिक नामका सान्निपातिक भाव है । (कयरे से णामे उदइय खओवसमियपारिणामियनिप्फण्णे ?) हे भदन्त ! औदयिक क्षयोपशमिक और पारिणामिक इन तीन भावों के संयोग से निष्पन्न हुआ सान्निपातिक भाव कैसा है ?
उत्तर-(उदइय खोवसमियपारिणामियनिष्फण्णे) औदयिक क्षायो पशमिक और पारिणामिक इन तीनों भावों के संयोग से निष्पन्न हुआ सान्निपातिक भोव ऐसा है-(उदइएत्तिमणुस्से खोवसमियाइं इंदियाई पारिणामिए जीवे) मनुष्यगति यह औदयिक भाव है। इन्द्रियां ये क्षायोपशमिक भाव हैं और जीव यह पारिणामिक भाव है। (एसणं से णामे उदयखओवसमियपारिणामियनिष्फण्णे) इस प्रकार से यह औदयिक क्षायोपशमिक पारिणामिक नाम का सान्निपातिक भाव है।
उत्तर-(उदइयखइयपारिणामियनिष्फण्णे) भौयि क्षायि भने पार. શામિક, આ ત્રણ ભાના સયોગથી બનતે પાંચમો સાન્નિપાતિક ભાવ આ मारनेछ-(उदइए ति मणुस्से, खइयं सम्मत्तं, पारिणामिए जीवे) मनुष्य गति ઔદયિક ભાવ રૂ૫ છે, ક્ષાયિક સમ્યક્ત્વ ક્ષાયિક ભાવ રૂપ છે અને જીવ पारिवामि मा ३५ छे. (एवगं से णामे खइयपारिणामियनिष्फण्णे) मा પ્રકારનું ઔદયિક ક્ષાયિક પરિણામિક નામના સાઘિપાતિક ભાવનું કવરૂપ છે.
प्रश्न-(कयरे से णामे उदइयख ओवसमियपारिणामियनिष्फण्णे ?) 3 ભગવન્! ઔદયિક, ક્ષાપશમિક અને પરિણામિક, આ ત્રણે ભાવના સગથી બનતા છક્કા સાન્નિપાતિક ભાવનું સ્વરૂપ કેવું છે?
उत्तर-(उदइयखओवसमियपारिणामियनिष्फण्णे) मौयि, क्षायो५०. મિક અને પરિણામિક, આ ત્રણ ભાવના સાગથી બનતા બદા સાન્નિપાતિક सावनु २१३५ मा प्रा२नु -(उदइए मणुस्से खोवसमिाइं इंदियाई, पारिणामिए जीवे) मनुष्याति मोयि मा१३५ छ, धन्द्रिय क्षायो५मि भाप ३५ छ भने ७१ पारिवामि मा ३५ छ. (एसणं से णामे उपायखओव. समियपारिणामियनिष्फण्णे) रन मोहथि: क्षायापशभिः पारिवामि નામને સાન્નિપાતિક ભાવ છે.