________________
अनुयोगचन्द्रिका टीका सुत्र १४७ पर्यवनामनिरूपणम् ___ ६५५ पंचविध प्रज्ञप्तम्। संस्थानमाकारविशेषस्तत्स्वरूपं प्रसिद्धमेव । तदेतदुपसंहरनाहतदेतत् संस्थाननामेति । इत्थं गुणनाम प्ररूपितमिति सूचयितुमाह-तदेतत् गुणनामेति ॥सू० १४६॥
मूलम्-से किं तं पज्जवणामे ? पज्जवणामे अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा-एगगुणकालए दुगुणकालए तिगुणकालए जाव दसगुणकालए संखिज्जगुणकालए असंखिज्जगुणकालए अणंतगुणकालए। एवं नीललोहियहालिद्दसुकिल्ला वि भाणियवा। एगगुणसुरभिगंधे दुगुणसुरभिगंधे तिगुणसुरभिगंधे
(संठाणनामे पंचविहे पण्णत्ते) संस्थान नाम पांच प्रकार का प्रज्ञप्त हुआ है (परिमंडलसंठाणनामे, वसंठाणनामे, तंस संठाणनामे, चउरंस. संठाणनामे आययसंठागनामे) संस्थान नाम आकार विशेष का है। यह संस्थान नाम परिमंडल संस्थान नाम आदि के भेद से पांच प्रकार का है। इन संस्थानों का स्वरूप प्रसिद्ध ही है । संस्थान के नाम इस प्रकार से हैं-परिमंडल संस्थान, वृत्त संस्थान, व्यस्रसंस्थान, चतुरस्रसंस्थान, और आयतसंस्थान। (से तं संठाणनामे) इस प्रकार यह संस्थान नाम है । (से तं गुणनामे) इस प्रकार से यहांतक यह गुणनाम का वर्णन है। द्रव्यों के नाम द्रव्धनाम, वर्ण रस आदिकों के नाम गुणनाम है। सू०१४६॥
उत्तर-(संठाणनामे पंचविहे पण्णत्ते) संस्थाननामना पांय १२ हा छ. (तजहा) त । नीये प्रमाणे छे-(परिमंडलसंठाणनामे, वसंठाणणामे, त ससंठाणनामे, चउरंससंठाणनामे, आययसंठाणनामे) २ विशेषतुं नाम સંસ્થાન છેઆ સંસ્થાનનામના પરિમંડલ સં થાન નામ આદિ પાંચ પ્રકારો છે. આ સંસ્થાનું સ્વરૂપ જાણીતું હોવાથી અહીં તેમનું વર્ણન કરવામાં આવ્યું નથી સંસ્થાનનાં નામ આ પ્રમાણે છે-(૧) પરિમંડલસંસ્થાન (૨) वृत्तसंस्थान, (3) यस स्थान, (४) यतुरनस स्थान भने (५) मायतसत्यान. (से त संठाणनामे) या प्रानुं संस्थान नामर्नु २१३५ छ. (से त गुणनामे) १, २स, गध, २५श भने संस्थाननाम ३५ अनामनु म। પ્રકારનું સ્વરૂપ છે દ્રવ્યનાં નામને દ્રયનામ કહે છે અને વર્ણ રસ ગંધ, પર્શ અને સંસ્થાનના નામને ગુણનામ કહે છે. સૂ૦૧૪દા