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अनुयोगन्द्रका टीका सूत्र १३७ यौध निधि की कालानुपुर्वीभिरूपणम्
इत्यन्यानामन्योऽन्याभ्यासे ये अनःता भङ्गा भवन्ति तेषु आद्यन्तरूपभङ्गद्वयविवक्ष: मपहाय सर्वभद्गुणनात्मिवा बोध्या । अत्र कालविचारस्य प्रस्तुतत्वात् समादेशकालत्वेन प्रसिद्धत्वात् अनुषङ्गतो विनेयानां समयादिकाळज्ञानं भन्छ, इति प्रकारान्तरेण कालानुपूर्वी माह- 'अहवा' इत्यादिना । अथवा औपनिधिको कालानुपूर्वी पूर्वानुपूर्व्यादिभेदेन त्रिविधा प्रष्ठा । तत्र पूर्वानुपूर्वी एकसमययह पश्चानुपूर्वी का स्वरूप है। (से किं तं अणाणुपुच्ची?) हे भदन्त ? अना नुपूर्वी का क्या स्वरूप है ?
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उत्तर- (एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए अनंनगच्छगयाए सेदीए अण्णमण्णभासो दूरुवृणो) अनानुपूर्वी में समयादि पदों का एक२ की वृद्धिपूर्वक उपन्यास किया जाता है, फिर बाद में आपस में इनका गुणा किया जाता है। इस प्रकार गुणा करने पर जो अनन्त भंगरूप राशि उत्पन्न होती है उसमें से आदि और अन्त के दो भंग घटा दिये जाते हैं। इस प्रकार से अनानुपूर्वी अनन्त भंगात्मक होती है। यहां काल का विचार प्रस्तुत है और समयादिक कालरूप से प्रसिद्ध हैं । इस लिये शिष्यों को समयादिरूप कालका आनुषंगिक रूप से ज्ञान हो जावे इसलिये सूत्रकार प्रकारान्तर से कालानुपूर्वीका कथन करते है - ( अहवा ओवणहिया कालापुच्वी तिविहा पण्णत्ता) अथवा औपनित्रिकी कालानुपूर्वी तीन प्रकार की कही गई है (तं जहा ) जैसे ( पुत्रवाणुपुच्ची पच्छा पुत्री, अणाणुपुत्री) पूर्वानुपूर्वी पश्चानुपूर्वी और अनानुपूर्वी ।
२- (एयाए चैव एमाइयाए एगुत्तरियाए अनंतगच्छगयाए सेढीए अण्णभासो दूरूवूणो ) अनानुपूर्वीभां सभयाहि पहोनेो थोड थोनी वृद्धिश्री ઉપન્યાસ કરવામાં આવે છે. ત્યાર બાદ આપસમાં (અદરે અંદર) તેમના ગણાં (તેમના ગુણાકાર) કરવામાં આવે છે. આ પ્રકારે ગુણાકાર કરવાથી જે અનંત ભગરૂપ રાશિ ઉત્પન્ન થાય છે તેમાંથી શરૂઆતને અને અન્તને એક, એમ એ ભગા ઓછાં કરવામાં આવે છે. આ પ્રકારે અનાતુપૂર્વી અનંત ભગરૂપ હોય છે. અડી' કાળના અધિકાર ચાલી રહ્યો છે અને સમયાદક કાળરૂપે પ્રસિદ્ધ છે. તેથી શિષ્યેાને સમયદિ રૂપ કાળનુ આનુષંગિક રૂપે જ્ઞાન થઈ જાય તે હેતુથી સૂત્રકાર કાલાનુપૂર્વીના સ્વરૂપનું અન્ય પ્રકારે निपथ ४२ छे - ( अहवा ओवणिहिया काला णुपुत्र्वी तिविहा पण्णत्ता) अथवा - भोपनिधिडी खानुपूर्वा व प्रारीही छे. (तंजा) ते प्रा नये प्रभाछे छे - (पुव्वाणुपुत्री, पछाणुपुबी, अणाणुपुब्बी) पूर्वानुपूर्वी, પદ્માનપૂર્વી અને અનાનુપૂર્વી,