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सुयोगचन्द्रिका टीका मूत्र १३७ औपनिधिकीकालानुपूर्वीनिरूपणम् १९३ रत्ते, पक्खे, मासे, 3ऊ, अयणे". समय आवलिका, आन, प्राण, स्तोक लब, महत, महोगत्र, पक्ष, मास, ऋतु, अयन (संबच्छरे) संवत्सर (हु. गे) युग, (वाममए) वर्षशत (वाससहस्से) वर्ष सहस्र, (वाससयसहस्से) वर्षशतसहस्र, (पुत्वंगे) पूर्वाङ्ग (पुब्वे) पूर्व (नुडियंगे) त्रुटितांग) (तुडिए) त्रुटित, (अडडंगे) अटटाङ्ग (अडडे) अटट (अववंगे) अववान (अ. ववे) अवय (हुरभंगे) हुहुहाङ्ग (हुहुए) हुहुक (उप्पलंगे) उत्पलाङ्ग (उ. पले) उत्पल (पउमंगे) पद्माङ्ग (गउमे) पद्म (गलिणंगे) नलिनाग (णलिणे) नलिन (अत्यनिऊरंगे) अर्थ निपूराङ्ग (अत्यनिउरे) अर्थ निपूर (अउअंगे) अयुताङ्ग (अ उए) अयुन (न उअंगे नयना नउए) नयुक्त (पउ अंगे) प्र. युनाग (पउए) प्रयुन (चूलिअंगे) चूलिकांग (चूलिया) चूलिका (सीस पहेलिअंगे) शीर्षप्रहेलिकाङ्ग (मीनपहेलिया) शीर्षप्रहेलिका (पलिओक्मे) पल्योपम (मागरोवमे सागरोपन (ओसप्पिणी) अवसर्पिणी (उस्स पिणी) उत्सर्पिणी) (पोग्गलपरिय?) पुद्गलपरिवर्त (अईयद्धा) अतीताद्धा (अणागयट्टा) अनागताद्धा (सव्वद्धा) सर्वाद्धा। यह पूर्वानुपूर्वी हैं। सम. य का स्वरूप आगे स्वयं मूत्रकार कहेंगे। यह काल का सब से सूक्ष्म अंश है । इनसे ही समस्त प्रमाणों की आवलिका आदिकों की - उ. पश्खे, मासे, उऊ. अयणे, समय, पक्षिय!, li, ley, Ra४, ११, भुडून, म:२॥३, ५५, मास, *तु. मयन, (संवच्छरे, जुगे) सत्स२, युग, (वासमए) शत, (वाससहस्से) १५ सहर, (वाससयसहरसे) १५शत सस (AIR) (पुगे, पुवे) ५नि, पूर्व (डियंगे, तुहिए,) त्रुटितin, बुरित, (अडडंगे, अष्टडे) 4221, 22, (अववंगे, अक्वे) ११, १११, (हुहुअंगे, हुहुए) .in, हु, (उप्पलंगे, उपले) ७५ , ५६ (पउमंगे, पउमे) ५, ५५, (गलिणंगे, णलिणे) नविन!, नलिन, (अत्यनिऊरंगे) म , (अत्यनिऊरे) अनि५२, (अ ) अयुतin, (अउए) Mयुत, (नउअंगे, न उए) नयुतान, नयुत, (पउअंगे) प्र. 1, (ए) प्रयुत, (घूटिअंगे) यूGिit, (चूलिया) यूलित, (सीसपहेलिअं) प्रतिin, (सीसपहेलिया) श मि१, (पलिओवमे) पक्ष्यायम, (सागरोवमे) साग।५म, (ोसप्पिणी) Aqeel, (उस्सप्पिणी) उत्सपि, (पोग्गलपरियटे) पुसपरि. पत्त', (अईयद्धा) मतद्धा, (अणायद्धा) अनागताद्धा, (सव्वद्धा) सर्वात, આ કમે પદોને ઉપન્યાસ કરે તેનું નામ પૂર્વાનુ પૂર્વી છે. કાળના સેથી સૂમ અંશનું નામ “સમય” છે. સૂત્રકાર પિતે જ તેનું સ્વરૂપ આગળ સમજાવવાના છે. તે સમયને આધારે જ આવલિકા આદિ કાળપ્રમાણેની
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