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भनुयोगद्वारस्ये द्विसमयस्थितिका अवक्तव्यकानि । अथवा-त्रिसमयस्थितिकच एकसमयस्थितिका आनुपूर्वीच अनानुपूर्वी व । एवं तथैव द्रव्यानुपूर्वीगमेन पहविचतिर्भना भणितव्याः, यावत् सैषा नैगमव्यवहारयो भङ्गोपदर्शनता ।।मु० १२९॥ ___टीका-से किं तं इत्यादि । व्याख्या द्रव्यानुपूर्वीवदभ्यूहनीया। स०१२९।। तीन समय की स्थितिवाले अनेक अपनी २ एक सी जातिवाले पदार्थ आनुपूर्वियां हैं । (एगसमयहिइया अणाणुपुव्वीओ) एक समय में स्थितिथाले अनेक अपनी २ एक सी जातिवाले पदार्थ अनानुर्वियां है। (दुसमयहिहया अवत्तव्ययाई) दो समय की स्थितिवाले अनेक अपनी २ एक सी जातिवाले पदार्थ अवक्तव्यक हैं। इस प्रकार ये एकवचनान्त बहुवचनान्त पक्ष में ३-३ भंग हैं । इस प्रकार से असंयोग पक्ष में इन छ भंगों का अर्थ कथन है। संयोगपक्ष में एकवचन और बहवचन संबन्धी प्रथम और द्वितीय भंग को संयुक्त करने पर त्रिसमय की स्थितिवाला पदार्थ एक आनुपूर्वी और एक समय की स्थितिवाला पदार्थ एक अनानुपूर्वी का वाच्यार्य जानना चाहिये। यही बात (अहवा तिसमवटिइए य एगसमयहिए य आणुपुत्वी य अणाणुपुत्री य) इस पाठ द्वारा स्पष्ट की गई है। यह प्रथम चतुर्भगी का प्रथम भंग है (एवं तहाचेव दवाणुपुवीगमेणं छब्बीसं भंगा भाणियव्वा जाव से तं गमववहाराणं भंगोवदंसणया) इस प्रकार द्रव्यानुपूर्वी के पाठ के पातपातानी में सभी तिवा ५६. अनानुषी थे। ३५ छे. (दुसमयट्रिइया अवत्तवयाई) २ सभयनी स्थिति भने पातपातानी से સરખી જાતિવાળા પદાર્થો અવક્તવ્ય કે રૂપ છે. આ પ્રકારે એકવચનાન્ત અસગ પક્ષમાં ત્રણ ભંગ અને બહુવચનાંત અસંગ પક્ષમાં પણ ત્રણ બંગ બને છે. આ રીતે અસંયોગપક્ષે કુલ નંગ બને છે. સંયોગપક્ષે એકવચન અને બહુવચન સંબંધી પ્રથમ અને દ્વિતીય ભંગને સંયુક્ત કરવાથી ત્રણ સમયની સ્થિતિવાળો પદાર્થ એ આનુપાવી રૂપ અને એક સમયની સ્થિતિવાળો પદાર્થ એક અનાનુપાવી રૂપ સમજ ઈએ, એજ વાત નીચેના સૂત્રપાઠ દ્વારા પ્રકટ કરવામાં આવી છે
(माया तिसमयदिइए य एगसमयष्ट्रिइए य भाणुपुब्धीप भणाणुपुठवी य) આ પ્રકારે પહેલી ચતુર્ભાગીને પહેલે ભંગ ઉપર પ્રકટ કરવામાં આવ્યો છે. (एवं तहा चेव दवाणुपुन्वीगमेणं छब्बीसं भंगा भाणियव्या जाव से तंगमनवहाराणं भैगोवदंषणया) भा द्रव्यापीना l tulon अनुसा.