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दब्वाणुपुव्वी। से तं नो आगमओ दव्वाणुपुव्वी। से तं दवाणुपुव्वी ॥सू०९९॥
गया-अथवा-औपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी त्रिविधा प्राप्ता, तपथा-पूर्वानु पूर्वी पश्चानुपूर्वी अनानुपूर्वी । अथ का सा पूर्वानुपूर्वी ? पूर्वानुपूर्वी-परमाए. पुद्गलो द्विपदेशिकः त्रिपदेशिको यावत् दशप्रदेशिकः संख्येयप्रदेशिकः असंख्येयपदेशिकः अनन्तमदेशिकः । सैषा पूर्वानुपूर्वी । अथ का सा पश्चानुपूर्वी ? पचानुः
अप सूत्रकार एक पुद्गलास्तिशाय के ऊपर तीनों की घटना करते हैं"अहवा भोवणिहिया" इलादि।
शब्दार्थ-( अहवा) अथवा- (ओवणिहिया दवाणुपुव्वी)ोपनिषि की द्रव्यानुपूर्वी (तिविहा पण्णत्ता) तीन प्रकार की कही गई हैं। (तं जहा) वे प्रकार ये हैं- (पुव्वाणुपुव्वी) पूर्वानुपूर्वी (पच्छाणुपुन्धी) पश्चानुपूर्वी (भणाणुपुव्वी) और अनानुपूर्वी। (से किं तं पुव्वाणुपुवी ?) हे भदन्त ! पूर्व प्रक्रान्त पूर्वानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ? (पुव्वाणुपुषी)
उत्तर-पूर्वानुपूर्वी इस प्रकार से हैं-(परमाणुपुग्गळे दुप्पएसिए तिप्प. एसिए जाव दसपएसिए संखिज्जपएप्तिए असंखिज्जपएसिए अणंतपएसिए) परमाणुपुद्गल, द्विप्रदेशी, त्रिप्रदेशी यावत् दशप्रदेशी, संख्यातपदेशी, असंख्यात प्रदेशी, अनंतप्रदेशी स्कंध-इस क्रमसे यह पुद्गला.
वे सूत्रा२४ पुस्तिय 6५२ मात्रा घटना (स्थापना) - "अहवा भोवणिहिया" त्याह
Avडाय-(अहवा) या (भोवणिहिया दवाणुपुषी) गोपनिषद अन्यानुभवी (तिविहा पण्णत्ता) ३५ ४२नी hd. (तंजहा) ते १५ ॥३॥ ना प्रभारी थे-(पुव्वाणुपुव्वी, पन्छाणुपुष्वी अणाणुपुव्वी) (१) मानुषी (२) पक्षानुभूती (3) अनानुा .
48-(से कि त पुव्वाणुपुत्री ?) ३ पन् ! पानी १३५४
उत्तर-(पुव्वाणुपुव्वी) पूर्वानुभूतीन २१३५ ॥ २४ ५५ ४ - (परमाणुपुगले, दुप्पएसिए तिप्पएसिए जाव दसपएपिए, संखिग्जपपसिए, बसंधि
जपएसिए, अणंतपएसिए) ५२मा पुस, विप्राः४५, निशि४५, જય પ્રદેશી પર્યન્તના સ્કંધ, સંખ્યાત પ્રદેશમસ્કંધ, અસંખ્યાત પ્રદેશી રકપ અને અનંત પ્રદેશી ઢંધ આ ક્રમપૂર્વકની પુદ્ગલાસ્તિકાય સંબંધી જે આવyी, (से व पुव्वाणुपुव्वी) तेने पूर्वानुवी .