________________ .. कन्यानयनीयमहावीरप्रतिमाकल्पः / 22. कन्यानयनीयमहावीरप्रतिमाकल्पः / पणमिय अमियगुणगणं सुरगिरिधीरं जिणं महावीरं / कपणाणयपुरठिअतप्पडिमाकप्पं किमवि वुच्छं // 1 // चोलदेसावयंसे कपणाणयनयरे विक्कमपुरवत्थवपहुजिणवइसूरिचुल्ल पिउसाहुमाणदेव काराविया' बारहसयतित्तीसे विक्कमवरिसे (1233 ) आसाढसुद्धदसमीगुरुदिवसे सिरिजिणवइसूरीहिं अम्हेच्चय + पुवायरिएहिं पइटिया मम्माणसेलसमुग्गयजोईसरोवलघडिया तेवीसपवपरिमाणा नहसुत्तिलागणे वि घंट व सदं 5 कुणंती सिरिमहावीरपडिमा 'सुमिणयाएसेण अनकवालाभिहाणपुढविधाउ विसेससंफासेणं सन्निहियपाडिहेरा सावयसंघेण चिरं पूइया / जाव बारहसयअडयाले (1248) विकमाइच्चसंवच्छरे चाहुयाणकुलपईवे सिरिपुहविरायनरिंदे सुरत्ताण साहबदीणेण निहणं नीए रज्जपहाणेण परमसावरण सिद्धिरामदेवेण सावयसंघस्स लेहो पेसिओ, जहा-तुरुक्करज्जं संजायं / सिरिमहावीरपडिमा पच्छन्न धारियवा / तओ सावएहिं दाहिम - कुलमंडणकयंवासमंडलियनामंकिए कयंवासत्थले" विउलवालुआपूरे ठाविया / [ तिाव तत्थ ठिया ] जाव तेरह-10 सयइक्कारसे (1311) विकमवरिसे संजाए अइदारुणे दुभिक्खे अणिबहतो जोजओ नाम" सुत्त. हारो जीवियानिमित्तं सुभिक्खदेसं पइ सकुटुंबो" चलिओ कण्णाणयाओ। पढमपयाणयं थोवं कायवं ति कलिऊण "कयंवासत्थले चेव तं रयणि वुत्थो / अड्डरते देवयाए तस्स सुमिणं दिण्णं, जहा-इत्थ तुम जत्थ सुत्तोसि तस्स हिट्टे भगवओ महावीरस्स पडिमा एत्तिएसु हत्थेसु चिट्ठइ / तुमए वि देसंतरे न गंतवं / भविस्सइ इत्येव ते निबाहु त्ति / तेण ससंभमं पडिबुद्धेण तं ठाणं पुत्ताई हिं खणाविअं / जाव दिट्ठा सा पडिमा / तओ हिट्ठ"तुट्टेण नयरं गंतूण 15 सावयसंघस्स निवेइयं / सावएहिं महूसवपुरस्सरं परमेसरो पवेसिऊण ठाविओ चेईहरे / पूइजए तिकालं / अणेगवारं तुरुक्कउवद्दवाओ मुक्को / तस्स य सुत्तहारस्स सावएहिं वित्तिनिबाहो कारिओ / पडिमाए परिगरो य गवेसिओ तेहिं न लद्धो / कत्थवि थलपरिसरे चिट्ठइ / तत्थ य पसस्थिसंवच्छराइ लिहि अं संभाविज्जइ / अन्नया "व्हवणे संवुत्ते भयवओ सरीरे पसेओ पसरंतो दिह्रो / लुहिजमाणो वि जाव न विरमइ ताव नायं सड्ढेहिं वियदेहिं जहा को वि उवद्दवो अवस्सं इत्थ होही / जाव पभाए जट्ठअरायउत्ताणं धाडी समागया / नयरं सबओ विद्धत्थं / एवं पायडपभावो 20 सामी तावपूईओ जाव तेरहसयपंचासीओ (1385) संवच्छरो / तम्मि वरिसे आगएणं आसीनयरसिकदारेणं" "अल्लविअवंससं जाएणं घोरपरिणामेणं सावया साहुणो अ बंदीए काउं विडंबिया। सिरिपासनाहबिंबं सेलमयं भग्गं / सा पुण सिरिमहावीरपडिमा अखंडिआ चेव सगडमारोवित्ता दिल्लीपुरमाणेऊण"तुगुलकाबादट्ठिअसुरत्ताणभंडारे ठाविया / सिरिसुरत्ताणो किरि आगओ संतो जं आइसिहिइ तं करिस्सामु ति ठिया पन्नरसमासे तुरुकबंदीए / जाव समागओ कालक्कमेण देवगिरिनयराओ जोगिणिपुरं सिरिमहम्मदसुरत्ताणो / ___ अन्नया वहिया जणवयविहारं विहरित्ता संपत्ता दिल्लीसाहापुरे खरयरगच्छालंकारसिरिजिणसिंहसूरि-4 पट्टपइट्ठिया सिरिजिणप्पहरिणो / कमेण महारासयभाए पंडिअगुट्ठीए पत्थुआए, को नाम विसिट्ठयरो पंडिओ ति रायराएण पुढे" जोइसिअधाराधरेण तेसिं गुणत्थुई पारद्धा / तओ महाराएणं तं चेव पेसिअ सबहुमाणं आणाविआ . पोससुद्धबीयाए संझाए सूरिणो / भिट्टिओ तेहिं महारायाहिराओ / अच्चासन्ने उववेसिअ कुसलाइवत्तं पुच्छिअ आयण्णिओ अहिणवकधआसीवाओ / चिरं अद्धरतं जाव एगंते गुट्टी कया / तत्थेव रति च साविचा पभाए पुणो 30 9F * इसमें 'अम्हेच्चय पुव्वायहिएहिं' में जिनपतिसूरिजी को अपने पूर्वाचार्य के रूप में बताये हैं। जबकि अभयदेवसूरिजी के लिए ऐसा उल्लेख नहीं किया है तथा 'खरतरगच्छालंकार... सिरिजिणप्पहसूरिणो' इस उल्लेख से स्वयं को स्पष्ट खरतरगच्छीय बताया है जबकि अभयदेवसूरिजी को खरतरगच्छीय नहीं बताया है। - संपादक इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /077