________________ विशेष कलिकाल केवली, 4 राजाओं को प्रतिबोध प्रकटप्रभावी तीसरे दादा 50 हजार नूतन जैन बनाए क्र. नाम. 47. जिनप्रबोधसूरि 48. जिनचंद्रसूरि 49. जिनकुशलसूरि 50. जिनपद्मसूरि 51. जिनलब्धिसूरि 52. जिनचंद्रसूरि 53. जिनोदयसूरि 54. जिनराजसूरि 55. जिनभद्रसूरि आपके समय में वि.सं. 1422 बेगड़शाखा निकली आपके समय में वि.सं. 1461 में जिन वर्चन सरि से पिपलिया खरतर शाखा प्रारंभ-इसी शाखा के अन्तर्गत वि.सं. 1566 में श्री जिन देवसूरि से आद्यपक्षीय शाखा प्रारंभ हुई। 56. जिनचंद्रसूरि 57. जिनसमुद्रसूरि 58. जिनहससूरि 59. जिनमाणिक्यसूरि 60. जिनचंद्रसूरि 61. जिनसिंहसूरि चौथे दादा-अकबर प्रतिबोधक वि.सं. 1612 में भाव हर्ष गणि से भाव हर्षीय खरतर शाखा का उद्भव सं. 1686 जिनसागरसूरि से लघु आचीय खरतर शाखा प्रारंभ 62. जिनराजसूरि 63. जिनरत्नसूरि 64. जिनचंद्रसूरि 65. जिनसौख्यसूरि 66. जिनभक्तिसूरि * “जिनचंद्रसूरिजी अकबर प्रतिबोधक' थे या हीरविजयसूरिजी" यह जानने के लिए पढ़ें हमारी पुस्तक 'अकबर प्रतिबोधक कौन ?'-संपादक इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /156