________________ 10. रूद्रपल्लीय गच्छ के लेखः __(721) आदिनाथ-पञ्चतीर्थीः संवत् 1525 वर्षे फागुण सुदि 7 शनौ उपकेशज्ञातीय श्रीनाहरगोत्रे सा. देवराजसंताने सा. लोलापुत्र साह सोनपालेन भार्या पुत्र वूवासहितेन स्वपुण्यार्थं श्री आदिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्रीरुद्रपल्लीयगच्छे श्रीजिनराजसूरिपट्टे श्रीजिनोदयसूरिभिः। (722) सुमतिनाथ-चतुर्विंशतिः ।।सं. 1525 वर्षे फागुण सुदि 7 शनौ उपकेशज्ञातीय श्रीनाहरगोत्रे सा. जाटा माल्हा संताने सा. देवराज पुत्र सा. लाला भार्या पुत्र सं. सुख्यतेन भार्या सूदी पुत्र सं. करमा सहितेन स्वपुण्यार्थ श्रीसुमतिनाथचतुर्विशतिपट्टः कारितः प्रतिष्ठत श्रीरुद्रपल्लीयगच्छे श्रीजिनराजसूरिपट्टे भ. श्रीजिनोदयसूरिभिः ।।श्री।। (917) चतुर्विंशतिः ।।ॐ।। संवत् 1538 वर्षे जेठ सुदि 2 मंगलवारे उपकेशज्ञातीय सोनीगोत्री सं. तिणाया पुत्र सा. संसारचंद्र पुण्यार्थ श्रीचतुर्विंशति कारापितं। प्र.। रुद्रपल्लीयगच्छे भट्टारक श्रीजिनदत्तसूरिपट्टे (? श्रीजिनचंद्रसूरिपट्टे) भ. श्रीदेवसुन्दरसूरिभिः।। ___ रुद्रपल्लीय गच्छ के इन लेखों में कहीं पर भी खरतर' शब्द का प्रयोग नहीं है। अतः स्पष्ट है कि रुद्रपल्लीय गच्छ खरतरगच्छ की शाखा नहीं है। ( इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /144 )