________________ गांगा सुतेन भण. बचरा सुश्रावकेण पुत्र सोनपाल सहितेन।। 50) जिनरत्नसूरि-मूर्तिः संवत् 1379 मार्ग वदि 5 श्रीजिनश्वरसूरिशिष्य-श्रीजिनरत्नसूरिमूर्ति श्रीजिनचंद्रसूरिशिष्यैः श्रीजिनकुशलसूरिभिः प्रतिष्ठिता कारिता च खरतर सा. जाल्हण पुत्ररत्न तेजपाल रुद्रपाल श्रावक......... श्री समुदायसहितं। (उपर जिन प्रतिमा दोनों ओर 12 आचार्य) 51) जिनरत्नसूरि-मूर्तिः सं. 1379 मार्ग वदि 5 श्रीजिनेश्वरसूरिशिष्यश्रीजिनरत्नसूरिमूर्तिः श्रीजिनचंद्रसूरिशिष्यैः श्रीजिनकुशलसूरिभिः प्रति। का। खरतरगच्छे।। 52) जिनचंद्रसूरि-मूर्तिः सं. 1379 मार्ग व. 5 खरतर. श्रीजिनकुशलसूरिभिः श्रीजिनचंद्रसूरि.......... प्रतिमा प्रतिष्ठितं।। 53) समवसरणं (धातुः) सं. 1379 मार्ग व. 5 आ। जिनचंद्रसूरिशिष्यैः श्रीजिनकुशलसूरिभिः श्रीसमवसरण (णं) प्रतिष्ठितं कारितं सा. वीजडसुतेन सा. पातासुश्रावकेण।। 54) पद्मप्रभमूर्ति-परिकरलेखः संवत् 1379 श्रीपत्तने श्रीशांतिनाथविधिचैत्ये श्रीपद्मप्रभबिंब श्रीजिनचंद्रसूरिशिष्यैः श्रीजिनकुशलसूरिभिः प्रतिष्ठितं कारितं च शा. हेमल पुत्र कडुआ शा. पूर्णचन्द्र शा. हरिपाल-कुलधर-सुश्रावकैः पुत्र ककुआ प्रमुखसर्वकुटुंबपरिवृतैः स्वश्रेयोर्थं।। शुभमस्तु।। 55) परिकरलेखः संवत् 1379 श्रीमत्पत्तने श्रीशांतिनाथीयचैत्ये श्रीअणंतनाथदेवस्य बिंबं 50. खरतरवसही, शत्रुजय : भँवर. (अप्रका.) लेखांक 87 51. छीपावसही, शत्रुजयः भँवर. (अप्रका.), लेखांक 28, देहरी क्रमांक 784/34/2, ___ शत्रुजयः श. गि. द., लेखांक 144 52. शान्तिनाथ मंदिर भण्डारस्थ, नाकोड़ा; विनयसागर, नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, लेखांक 8 53. पार्श्वनाथ मंदिर, हाला, पाकिस्तान, जैन तीर्थ सर्व संग्रह भाग 2, पृ. 372 54. देहरी क्रमांक 104, खरतरवही, शत्रुजयः श. गि. द., लेखांक 119 55. देरी क्रमांक 97/2 शत्रुजयः श. गि. द. लेखांक 87 इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /131