________________ 25) पार्श्वनाथ-एकतीर्थीः संवत् 1332 ज्येष्ठ वदि 1 श्री पार्श्वनाथप्रतिमा श्रीजिनेश्वरसूरिशिष्यश्रीजिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठिता कारिता च नवलक्ष.... श्रावकेण स्वपितृ हरिपाल मातृ पद्मणि (णी) श्रेयो। 26) जिनदत्तसूरिमूर्तिः संवत् 1334 वैशाख वदि 5 श्री जिनदत्तसूरिमूर्तिः श्री जिनेश्वरसूरिशीष्यश्रीजिनप्रबोधसूरि.... 27) अनन्तनाथः संवत् 1337 ज्येष्ठ वदि 5 श्री अनंतनाथ देवगृ (हिका बिंबं च) श्रीजिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठितं कारितं च वटपद्रवास्तव्य सा खीवा आवड़ श्रावकाभ्यां आत्मश्रेयोनिमित्तः।। 28) अजितनाथ-परिकरलेखः सं. 1337 ज्येष्ठ वदि 5 श्री अजितनाथबिंब श्रीजिनेश्वरसूरिशिष्य-श्रीजिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठितं श्रीमुनिचंद्रसूरिवंशीय.... सा. नाहडा तत्पुत्र शा भालु.... आत्मश्रेयोर्थं। शुभमस्तु। 29) सुपार्श्वनाथ-पञ्चतीर्थीः संवत् 1337 ज्येष्ठ वदि 5 श्रीसुपार्श्वजिनबिंबं श्रीजिनेश्वरसूरिशिष्यैः श्री जिनप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठितं कारितं....... सुतेन.......। 30) सुविधिनाथ-परिकरलेखः संवत् 1337 ज्येष्ठ वदि 5 श्री सुविधिनाथबिंब देवगृहिका च 26. झवेरीवाडा का जैन मंदिर, पाटणः प्रा. जै.ले.सं., भाग 2, लेखांक 524 27. शत्रुजय गिरिना केटलाक अप्रकट प्रतिमा लेखों- मधु. ढांकी व लक्ष्मण भोजक-सम्बोधि वो. 7, नं. 4; भंवर. (अप्रकाशित), लेखांक 103 28. देहरी क्रमांक 97/1, शत्रुजय : श. गि. द., लेखांक 86 29. खरतरवसही, शत्रुजय : भँवर. (अप्रका.) लेखांक 68 30. खरतरवसही, समवसरण 2, शत्रुजय : श. गि. द. लेखांक 122 ; भँवर. (अप्रका.) लेखांक 82 31. देहरी क्रमांक 92/5, खरतरवसही, शत्रुजय : श. गि. द., लेखांक 116; भँवर. (अप्रका.) लेखांक 70 32. खरतरवसही शत्रुजय-भँवर. (अप्रका.) लेखांक 81; खरतरवसही, समवसरण, शत्रुजयः श. इतिहास के आइने में - नवाङ्गी टीकाकार अभयदेवसूरिजी का गच्छ /126