________________ * 700 दूर करने वाले श्रीचन्द्र ने वह भीलड़ी को दिया / उसको लेकर वह जल्दी से गांव को गई। वीणापुर नगर में सूर्यवती के पुत्र श्रीचन्द्र किल्लों मोहल्लों को देखते हुए मित्र के साथ पवन को खाते हुए आनन्द का अनुभव करते हुए किसी स्थान पर विश्रान्ति लेते हैं इतने में पूर्व भव में जिस तोती ने अनशन किया था इस. भव में वह पद्मनाभ राजा की पुत्री पद्मश्री हुई है वह मंत्री की पुत्री कमलश्री के साथ नगर के बाहर क्रीड़ा करके वापिस जारही थी वहां उसने श्रीचन्द्र को देखा और उन पर मोहित हो गई। उसने चंदन का कटोरा भरकर सखी द्वारा बुद्धि की परीक्षा के लिये भेंट भेजा, उसे देखकर राजा ने पूछा 'ये क्या है ? सखी ने कहा 'पद्मनाभ राजा की रानी पद्मावती की पुत्री पद्मश्री ने आपको यह भेंट भेजी है उसे सफल कीजिये। यह सुनकर राजा ने सोचा 'यह कटोरा भोग के लिये नहीं भेजा गया है अपितु मेरी बुद्धि की परीक्षा के लिये भेजा है। उन्होंने चन्दन के कटोरे के मध्य अपनी छोटी अंगुली की मंगूठी रखकर सखी को कचोले सहित वापिस भेजा / फिर से पद्मश्री ने खुले पुष्प भेजे / राजा ने पुष्पों की माला बनाकर वापस भेजी। तब गुणचन्द्र अमात्य ने पूछा ऐसा आपने क्यों किया ? राजा ने उसको अपना भभिप्राय कह सुनाया, पद्मश्री ने अद्भुत बुद्धि से मेरी परीक्षा ली है / इस चन्दन के कटोरे की तरह यह नगर पहले भी उत्तम पुरुषों से भरा हुआ है उसमें इस अंगूठी की तरह मेरा स्थान अपने पाप हो P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust