________________ हुना / चौथी बार बड़ ऊपर से शव को लेकर चले तो शव ने कहा कि, 'हे राजाधिराज ! तुम योगी के पाम किस तरह आये हो ? यह बहुत धूर्त है। तुमसे साधना सिद्ध कर तुम्हे मार देगा।' उसके वचन सुन श्रीचन्द्र विचारने लग गये। इतने में ही मध्यमवय वाली एक स्त्री आई / श्रीचन्द्र ने पूछा तुम कौन हो ? वह रुदन करती हुई बोली मैं नन्द गांव में रहती हूँ। में मेरा पति है, किसी समय चोरी करता था जिससे राजा ने इसे मार कर पेड़ पर लटकाया है / मैं उसे देखने आई हूं। वह स्त्री जितने में उसे चन्दन लगाती है उतने में ही शव ने उसकी नाक काट ली। वह स्त्री तो गांव में चली गई। श्रीचन्द्र शव को योगी के पास लाये / योगी ने स्नान करा कर उसकी पुष्पों से पूजा कर मांडले में कुन्ड के पास रखा / 13 शव के हाथ में तलवार देकर उसके पर के पास श्रीचन्द्र को दूसरी तरफ देखते हुये खड़े रखकर कहा कि ऐसा चितवन करो कि मेरा कार्य सिद्ध हो पीछे की ओर मुड़कर देखना नहीं।' श्रीचन्द्र ने नवकार मन्त्र से शरीर की रक्षा कर तिरछी दृष्टि से शव पर ध्यान रखा। योगी ने उड़द के दाने मंत्रित करके शव पर डाल कर हुंकार किया। शव थोड़ा खड़ा हुआ चारों तरफ देखकर शान्त होगया / योगी ने श्रीचन्द्र से पूछा 'क्या सोच रहे हो ?' जैसा मन, वैसा ही वचन और वचन जैसा वर्तन हो उसका कार्य सिद्ध हो ऐसा श्रीचन्द्र ने कहा / तब योगी बोला ऐसा कहो कि योगी का कार्य सिद्ध हो / योगी ने मन्त्रित फिर दानेशव पर डाले और हूंकार किया। लाल 2 अांखें कर शव खड़ा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust ..