________________ * 38 चुप रहा / इससे राजा ने पूछा तू कौन है सत्य क्यों नहीं कहता ? तो भी मदनपाल मौन रहा तब राजा ने कहा कि इसको तो चाबुक की फटकारों की सजा होनी चाहिये / सजा से घबराकर वह बोला मैं मदनपाल हूँ और अपनां चरित्र कह सुनाया और कहने लगा यह बुद्धि बटुक की है उसने मेरे ही कहने से शादी भी की जिससे उससे द्वेष करना योग्य नहीं। उस उपकारी के उपकार का बदला किस प्रकार . चुका सकूगा। ___ वह सब कुछ मुझे दे गया / वह यहां है या कहीं और इसका मुझे कुछ पता नहीं है। वह श्रीचन्द्र है या कोई और ये भी मैं नहीं जानता। तब राजा ने और लोगों ने कहा कि बटुक हो श्रीचन्द्र थे। तारक भाट ने कहा कि वे श्रीचन्द्र ही थे। इसमें कोई भी संशय नहीं है उनको बहुत खोज करवाई लेकिन श्रीचन्द्र का कोई पता नहीं लगा। विलाप करती पुत्री को राजा ने कहा कि तू रुदन न कर, तेरा पति तुझे मिलेगा परन्तु क्या तू उसे पहचान सकेगी? प्रियंगुमंजरी ने कहा मेरे बायें अंग फड़कने पर मैं शुभ शकुन से स्वयं जान लूगी। अब तक मेरे पति मुझे नहीं मिलते उन्होंने मुझे अपनी छोटी अंगुली की / अंगूठी दी है मैं उसी की दर से पूजा करूंगी। मदनपाल से सब माभूषण हाथी प्रादि सर्व वस्तुएं मंत्री ने राजा के कहने से अपने प्रधिकार में रख ली। रानीजी की दी हुई अंगूठी उसमें नहीं थी, मदनपाल से उसके लिये पूछा गया तब उसने उत्तर दिया वह तो बटुक मे गया है। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust