________________ * 34 38. हो, होठ लम्बे हों. नेत्र पीने हों. अावाज मोटी (घोघरा) हो, अतिश्वेत अतिश्याम यह 6 प्रकार की स्त्रिये त्यागने योग्य हैं / जिसके गालों पर खड्डे पड़ते हों वह पंति के घर स्थिर हो कर नहीं रहती और स्वच्छंद आचार वाली होती है। पैर के अंगूठे की पास वाली पहली अंगूली अंगूठे से बड़ी हो तो वह अच्छी नहीं होती। * दूसरी अंगूली यानि बीच की अंगूली अंगूठे से बड़ी हो तो वह स्त्री दुर्भागा होगी और पति को छोड़ देगी। पैर की तीसरी अंगुली ऊची न हो और जमीन से स्पर्श न करती हो तो वह कुमारी अवस्था में जार के साथ खेलती है / जिसकी सबसे छोटी अंगुली जमीन से स्पर्श न करे तो वह यौवन वय में जार के साथ क्रीड़ा करे इसमें कोई संशय नहीं / जसा मुख वैसा ही गुप्त भाग, जैसी चक्षु हो वैसी कमर हो, जसा हाथ हो वैसे ही पैर हों, जैसी भुजायें हों वैसी जंघा हो, जिसकी कौए के मावाज जैसी वाणी हो, कोए जसी जंघा और पीठ रोम वाली हो, मोटे दांत वाली हो वह दस महीने में पति का नाश करती है / जिसकी अंगुलियों में छेद पड़ते हों, जिसकी अंगुलिये विषम हों वह वेर को बढाने वाली होती है ऐसा सामुद्रिक कहते हैं / इसमें शंका नहीं है अति दीर्घ, प्रति छोटी, अति मोटी, अति पतली, अति श्याम और अति काली योनि वाली स्त्री दुर्भागा कहलाती है। विवाद करने वाली,अस्थिर आश पर बैठने वाली शूरातन वाली, दूसरों के अनुकूल पौर दूसरों की आश्रय से खिली हई, प्रति आक्रोश को करने वाला, धौर शून्य घर में बैठने वाली, जिसकी दस पुत्र पुत्री हो भी तूं उस Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.