________________ * 16 प्राभूषणों से जिसका अंग विभूषित है। जिसका मुख कोमल है ऐसी दुसरी कन्या को उसके पास पास घूमते देखा। श्रीचन्द्र को आगे इये देखकर तापसकुमार ने कहा, हे सखी ! तेरे सौन्दर्य से आकर्षित पह पुरुष पाया इसका फल फूल देकर आदर करो। .: ..:. सखी ने आदर पूर्वक कहा, 'हे बटुक इस रायण वृक्ष के नीचे बेठो / ' सखी फल लाकर देने लगी, बटोही ने ऊपर से ही फल ले लिये और पूछने लगा तुम कौन हो और यह कौन है.? इतने में एक सुन्दर घाला गाती हुई आयी, सर्व कलाओं से युक्त चन्द्रकला राजकन्या ने जिसे . स्वयं परख कर स्वीकार किया है ऐसे श्री चन्द्र जय को प्राप्त हों। ऐसा सुन. कर श्रीचन्द्र पूछने लगे, ये क्या बोलती है.? वह कौन है ? और यह कौनसा स्थान है ?. इतने में ही एक श्वेत वस्त्रधारी विधवा वृद्धा ने , उस पुरुष वेषधारी कन्या को स्त्री वेश दिया। . . . ... / वृद्ध स्त्री ने बटुक से पूछा, 'हे भद्र ! तुम कहां से माये हो ? चटुक ने कहा, 'मैं कुशस्थल से आया हूँ / '' यह सुनकरः सबको बहुत मानन्द हुआ। उन लोगों ने यह समाचार दूसरों को भी पहुँचा दिया, जिससे दूसरे सारे लोग बटुक के चारों ओर आकर बैठ गये / भ्रान्ति से बाला ने पूछा चन्द्रकला का पति कौन हुआ ? उसका वर्णन करो। श्रीचन्द्र ने कहा वह बाला• गाती 2 आयी है वह सत्य है, लक्ष्मीदत्त श्रेष्ठी के पुत्र से शादी हुई है।' कुशल बुद्धि वाले श्रीचन्द्र ने फिर उस : वृद्धा से पूछा कि हे माता ! आप यहां कैसे आयी हुयीं हैं पारि घृतान्त कहने योग्य हो तो कहो / . .. .. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust