________________ बाद में अंतपुर में खबर भिजवाई / सुलोचना को देखकर सबको आनन्द हुया / अवदूत को बड़े आदर सत्कार से भोजन करने महल में भेजा जहां छत्तीस प्रकार का स्वादिष्ट भोजन बनाया गया था। बाद में राजा ने मंत्रियों को बुलाकर सलाह दी कि हम अगर अवदत को कन्या देते हैं परन्तु इसका कुल आदि तो हम जानते नहीं / तब मंत्री जहां अवदत को ठहराया था वहां गये और पूछने लगे 'हे भद्र ! आपका नाम, कुल आदि क्या है यह तो बताओ। श्रीचन्द्र ने हंसकर कहा कि आप लोगों ने पूछा वह तो ठीक है परन्तु आपने तो पानी पीकर घर पूछने वाली कहावत को सत्य कर दिखाया। फिर भी सुनिये 'मैं कुशस्थल में रहने वाले लक्ष्मीदत्त सेठ का पुत्र हूं / व्यसनी और हठवाला होने से पिताजी की गुप्त रीति से बहुत लक्ष्मी लेकर दूसरों को दे देता था, जिससे पिताजी ने मुझे बहुत समझाया पर मैं अपनी आदत से हटा नहीं। इसलिये उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया / उसके बाद पृथ्वी घूमते हुए मुझे एक सिद्ध पुरुष मिले जिनकी मैंने बहुत सेवा की। उन्होंने सेवा से सन्तुष्ट होकर मुझे मन्त्र आदि दिये / उनको अब छोड़कर मैं यहां आया हूं। धन के बिना जुमा खेला नहीं जा सकता इसलिये मैंने पटह को स्पर्श किया। सारी बातें मन्त्रियों ने राजा से कही / यह भी कहने लगे कि सारा धन उसकी इच्छानुसार जुए में जायेगा इससे हमें तो बहुत चिन्ता होने लगी है / राजा भी चिन्तातुर हो गया। कहने लगे कि ऐसे जुआरी को कन्या P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust