________________ बजाने वाले,४२ हजार छत्र,चामर को धारण कराने वाले पुरुष,४२ हजार महावत शोभते थे, हरि तारक आदि भाट, वीणार व आदि गायक और दुसरे व धियों से स्तुति करवाते हुये श्रीचन्द्र सुशोभित होते थे। __सर्व देशों में, सब जातियों में लोगों को इच्छित दान देकर, सारी पृथ्वी को अऋणी किया। सर्ग निमित्रों और सर्व शास्त्रों के आदि में श्रीचन्द्र संवत्सर अंकित कराया / दानशालायें, प्याऊ, मठ, मन्दिर प्रादि प्रत्येक सोलह 2 हजार कराये / सत्तर वार सब जीवों को बोधिबीज देने वाली मात पिता सहित महायात्रायें की। प्रतिदिन श्री जिन पूजा, पावश्यक किया और मात-पिता की भक्ति, गुरु महाराज की चरण स्थापना को वन्दन सर्व क्रिया को करते थे / सारे देशों में अमारी की घोषणा की और अहिंसा को फैलाया / गांव-गांव में, गिरि-गिरि पर श्री जि.न मन्दिर, जिन बिंबों की स्थापना करके पृथ्वी को श्री जिनेश्वर देव से मंडित की। श्री जिन अाज्ञा के पालक ऐसे वे, सात क्षेत्रों में धन देते हुये, पार पर्वो में कुव्या. पार का निषेध करते हुये, श्री जिन वचन तथा उनके कहे हुये तत्वों में श्रद्धा रखते हुये राज्य पर शासन कर रहे थे / मानन्द पूर्वक बहुत समय व्यतीत हो गया / मुख्य तीन धर्म, अर्थ और काम को भोगते हुये चन्द्र कला की कुक्षि से चन्द्र स्वपन से P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust