________________ * 12040 उतरा / उस समय प्रतापसिंह राजा कोड़ा के लिये वन में गये हुये थे / कर्कोट द्वीप से हाथी, अश्व आये हैं ऐसा सुनकर सब वहां आये और पूछने लगे यहां कैसे पाये हो ? कनकसेन ने कहा हम कर्कोट द्वीप से आये हैं और कुशस्थल प्रतापसिंह राजा ने पास जा रहे हैं / ये नव पत्नियें श्रीचन्द्र राजा की हैं ये सब करमोचन के समय सारी चीजें मामा ने उन्हें दी थीं। वे अकेले आये थे, कन्याओं से ब्याह कर, स्वनाम स्पष्ट अक्षरों में लिख कर किसी दूसरी जगह चले गये हैं / पिताश्री के आदेश से कन्याओं का भाई में सारी समृद्धि सहित उन्हें छोड़ने आया हूं, वे स्वामी कहां हैं ? राजा ने आनंदित होते हुये कहा कि प्रतापसिंह राजा के पुत्र श्रीचन्द्र यहीं हैं वे ही इस नगर के राजा हैं / कनकसेन ने आनंदित होते हुये यह ही प्रतापसिह राजा हैं उनके चरणों में नमस्कार करके कहा हे पूज्य / अपने पुत्र का उपार्जित पाप स्वीकारें / कन्याओं तथा समृद्धि देखकर और चरित्र सुनकर राजा तो बहुत ही आश्चर्य को प्राप्त हुआ। राज वहीं सिंहासन पर बैठकर पुत्र को परिवार सहित बुलवाते हैं / सामंतों और गुणचन्द्र मंत्रियों सहित श्रीचन्द्र हंस की तरह आये / अर्ध उठे हुये पिता को नमस्कार करके उसके पास बैठे / सूर्यवती पठरानी भी वधुओं सहित आयीं कनकसेन ने श्रीचन्द्र को नमस्कार किया। नव बहुमें अद्भुत पति को देखकर बहुत ही हर्षित हुयीं / रुप और कान्ति युक्त उन्होंने सास और ससुर को नमस्कार किया। उनके भाई कनकसेन ने यथातथ्य कहकर हाथी, घोड़े सैनिक मादि दिये / P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust