________________ 118 19 कमलों में नमस्कार किया / सब को बहुत खुशी हुई / राजा ने सिंहास नारुढ होकर पुत्र को गोद में लेकर आलिंगन करते हुये बहुत समय तक वियोग रुपी दावानल को हर्ष के आसुत्रों से क्षणवार में शान्त किया / हर्ष के प्रांसू गिरती हुई सूर्यवती भी मिली। चन्द्रकला जिनमें मुख्य है ऐसी बहुएं सखियों सहित जिनका वृतान्त सासू, ने राजा को सुनाया उन सब ने ससुर के चरणों में पड़कर नमस्कार किया / पद्मनाभ आदि राजाओं ने और गुणचन्द्र आदि सब मंत्रियों ने राजा के चरण कमल में नमस्कार किया / वरचन्द्र, वामांग, मदनपाल और सेनापति धनंजय ने भी नमस्कार किया कनक और कान्ड देश का राज्य प्रतापसिंह राजा के पास भक्ति पूर्वक लक्ष्मण पौर विशारद मंत्रियों ने भेंट किया। अपूर्ण सुवर्ण पुरुष, रत्न, पारसमणी नर-मादा मोती सुवेग रथ, महावेग, वायुवेग, गंधहस्ति, अश्व प्रादि सर्व कीमती वस्तुयें पिता के चरण कमलों में रखीं। - सूर्यवती रानी सबसे मिली सबने कुशल वार्ता पूछी / गुणचन्द्र ने श्रीचन्द्र का सारा चरित्र कह सुनाया जिससे राजा बहुत हर्षित हुये / बाद में माता के पास से वखीर भाई को लेकर पिता की गोद में रखा / राजा ने पुत्र को स्व-चरित्र कह सुनाया। वे अवधूत की बार 2 प्रशंसा करके स्वमात्म निंदा करने लगे और कहने लगे कि मेरे द्वारा उसका कोई उपकार नहीं हो सका / श्रीचन्द्र ने हंसकर कहा हे तात ! श्रापके प्रताप से भविष्य में सब ठीक होगा। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust