________________ * 10 10 दिया। नगर के सारे लोग राक्षस के डर से सब कुछ छोड़ कर भा गए। पांचों रानियों का अंतपुर में रक्षण करता है, उनमें से गुणवत रानी सगर्भा थी, उसके पुत्र होगा तो उसको मैं मार डालू ऐसी राक्षस की इच्छा थी। दैवयोग से पुत्री का जन्म हुआ। उसक नाम चन्द्रमुखी रखा, अब उसका भविष्य क्या है यह मैं नहीं जानती जो कोई भी नगर में प्रवेश करता है उसको राक्षस मार डालता है।' ... तोती के मुख से सारा वृतांत सुनकर श्री श्रीचन्द्र' नगर में गए। , राजकुमार ने सारे राजमहल को देखा, बाद में राज-सभा में आकर कोमल वस्त्र से ढ़के हुये तथा घूमते हुये पलंग को देखकर अनुमान . लगाया कि यह राक्षस का ही पलंग होगा, अपनी शरीर की थकान को दूर करने के लिये श्रीचन्द्र आत्म रक्षक नमस्कार मंत्र से शरीर की रक्षा कर पलंग पर निर्भयता से सो गये। नगर में मनुष्य के पद चिन्हों को देख कर राक्षस बहुत क्रोधित हुआ। उसी समय महल में आया, पलग में आराम से सोते हुये श्रीचन्द्र को देखकर मन में सोचने लगा 'अद्भुत वीररस से युक्त और अत्यन्त तेजस्वी यह कौन है ? बडे धैर्य से मेरी शैया पर कौन सो रहा है ? यहां कैसे आया होगा ? किस प्रकार सो गया होगा ? क्या इसको उठा कर समुद्र में फेंक दूं? या तलवार से टुकडे 2 कर दूं या दड से पलँग सहित इसका चूरा कर दू? केसरीसिंह की जगह सियाल किस प्रकार रह सकता है ? 'ह दुष्टात्मा ! तू जल्दी से खड़ा हो जा, तू मेरे से डरता क्यों नहीं ? राक्षस की धमकी से श्रीचन्द्र ने जागृत होकर कहा कि 'तुझे Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.