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________________ प्रागे आकर मदनसुन्दरी ने वहां के सुवरण पुरुष का वर्णन कह सुनाया जिससे माता राजा अ सब पाश्चर्य को प्राप्त हुये / उस जंगल में से सुवर्ण पुरुष को लेकर, बड़ वृक्ष के नीचे भोयरे में से पाताल महेल में आये / उसमें से सार रत्नों को ग्रहण कर क्रमशः रत्नचूड़ के मृत्यु स्थान पर श्री जिनेश्वर देव का मन्दिर बनवाया / जब आगे आये तो नरसिंह राजा ने आनन्दपूर्वक क्रान्ति नगरी में प्रवेश करवाया / नजदीक में बड़गांव में रहते गुणधर पाठक को प्रियाओं से युक्त जाकर नमस्कार किया / गुरुपत्नी को नमस्कार कर अपूर्व भेंट दी। वहां से प्रियंगुमंजरी रानी और नरसिंह राजा सहित श्रीचन्द्र हेमपुर नगर पाये / वहां मदन सुन्दरी का वृतान्त जान मकरध्वज राजा अति हर्षित हुप्रा / वहां से फिर कंपिलपुर आये वहां जितशत्रु राजा ने महान प्रवेश महोत्सव किया। माता के आग्रह से वहां कनकवती प्रेमवती, धनवती और हेमश्री को श्री चन्द्र बड़े ठाठ से ब्याहे / श्रीचन्द्र को पाये जान वीणारव भी अपने नगर से आनंदित होता हुआ वहां आया और बड़ी सुन्दर ढंग से अपना श्रीचन्द्र काव्य मधुर स्वर में जाकर सुनाने लगा। :: विशाल अश्वों से पृथ्वी खुद गई है, मद से भरे हुये हाथियों के कुभ में मोती झर रहे हैं, मोती के कनियों को लेकर खडग वीज की श्रेणीबो रही है / हे कुडलपति / तीनों लोकों में तुम्हें महान विशालता प्राप्त हुई है,. आपकी कोति रुपी लता की प्राप्ति के लिये P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036500
Book TitleVardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddharshi Gani
PublisherSthanakvasi Jain Karyalay
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size76 MB
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