________________ * 1111 आगे आकर मदनसुन्दरी ने वहां के सुर्वण पुरुष का वर्णन कह . सुनाया जिससे माता राजा आदि सब पाश्चर्य को प्राप्त हुये / उस जगल में से सुवर्ण पुरुष को लेकर, बड़ वृक्ष के नीचे भोयरे में से पाताल महेल में आये / उसमें से सार रत्नों को ग्रहण कर क्रमशः रत्नचूड़ के मृत्यु स्थान पर श्री जिनेश्वर देव का मन्दिर बनवाया / जब आगे आये तो नरसिंह राजा ने आनन्दपूर्वक क्रान्ति नगरी में प्रवेश करवाया / नजदीक में बड़गांव में रहते गुणधर पाठक को प्रियाओं से युक्त जाकर नमस्कार किया / गुरुपत्नी को नमस्कार कर अपूर्व भेंट दी। ___ वहां से प्रियंगुमंजरी रानी और नरसिंह राजा सहित श्रीचन्द्र है मपुर नगर पाये / वहां मदनसुन्दरी का वृतान्त जान मकरध्वज राजा अति हर्षित हुप्रा / वहां से फिर कंपिलपुर आये वहां जितशत्रु राजा ने महान प्रवेश महोत्सव किया। माता के आग्रह से वहां कनकवती प्रेमवती, धनवती और हेमश्री को श्रीचन्द्र बड़े ठाठ से ब्याहे / श्रीचन्द्र को प्राये जान वीणारव भी अपने नगर से आनंदित होता हुआ वहां आया और बड़ी सुन्दर ढंग से अपना श्रीचन्द्र काव्य मधुर स्वर में जाकर सुनाने लगा। विशाल अश्वों से पृथ्वी खुद गई है, मद से भरे हुये हाथियों के कुभ में मोती झर रहे हैं, मोती के कनियों को लेकर खडग बीज की श्रेणी बो रही है / हे कुडलपति / तीनों लोकों में तुम्हें महान विशानता प्राप्त हुई है, आपकी कीर्ति रुपी लता की प्राप्ति के लिये P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust