________________ सनिक बाहर खड़े रहे हैं अदर नहीं पाते / सेनापति ने नाम प्रादि पूछा, परन्तु श्रीचन्द्र तो कुछ भी नहीं बोलतेः / श्रीचन्द्र ने एक बार सिंहनादः वि या जिससे सब संनिक भाग खड़े हुये / यह देख, राजा स्वयं प्राया। सरस्वती कहने लगी, हे स्वामिन ! पिता यहां आये हैं अब क्या होगा।' सरस्वती की श्रीचन्द्र ने अपनी अंगूठी दिखा कर, हर्ष से सार रत्न , ग्रहण कर, कान में कुछ कहकरं, अदभुत अजन से बंदरी बना कर, राजा के पास जाकर, आस पास हे हुये सैनिको को पछाड़ कर, उस गजा के. हाथो पर कूद कर, राजा से तलवार छीन, उसे बांध कर चले गये / उन्हें , पहचान कर भाट कहने लगा, जिन्होंने चोर की गुफा में से बालपुत्र के वियोग , से दुखी ब्राह्मण मंत्री प्रिया को उसके पति के साथ मिलाया और जिन्होंने श्री चन्द्रपुर नगर बसाया, उस कुडलपुर. के अधिपति प्रता सिंह. राजा के पुत्र श्रीचन्द्र जय को प्राप्त हों। जिनके पैर के तलुवों को राक्षस ने : भक्ति पूर्वक स्पर्श किया, ऐसे श्रीचन्द्र जय को प्राप्त हों / उसे बहुत : लक्ष्मी देकर वन में रथ पर पारुढ़ होकर वेग से प्रयाण किया / . . : मंत्री ने अरिमर्दन राजा के बन्धन खोलें श्रीचन्द्र के शौर्य और दान को देखकर हर्ष युक्त बोले 'ग्रहों वह धीर सरस्वती का पति जा रहा है. उन्हें वापस लायो / सैनिक दौड़े परन्तु उस उत्तम. को कोई प्राप्त न कर सका / वंदरी को आंसू बहाती देख गजा ने सखी के पास . से सारी हकीकत सुन कर उनकी कला की और उनकी प्रशंसा करते. कहाँ ! हे वत्से ! प्रतापसिंह का पुत्र ही तेर। पति है, हाथियों, अश्वों सहित मैं तुझे कुशस्थल लेकर चलूगा / इस प्रकार कह कर भाट को.. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust