________________ * 18 * इतने में तो उमा ने घर का द्वार बन्द कर दिया / रणधीर केखुश करके प्रानन्द से दोनों हास्य विलास करके सो गये / यह दुष्ट कृत्य देख कर घरण ने क्रोधित होकर विचार किया कि इन दोनों दुष्टो को मार डालू ? फिर विचार करने लगा, कि इससे तो मैं स्त्री हत्यारा कहलाउंगा, ऐसा विचार कर कोतवाल पुत्र रणधीर को नीचे पाकर मार डाला / द्वार खोल कर धरण वापिस अन्दर छुप गया। उमा के कण्ठ के पास रणधीर का रक्त आया / उसकी ठण्डक से एकदम चमक कर जागी / यह दृष्य देख कर हा ! हा ! यह क्या हुप्रा / किसने रणधीर की हत्या कर डाली / द्वार को खुल्ला देख कर उमा ने निश्चय किया कि किसी शत्रु ने ही इसकी हत्या की है। अब तो वह रणधीर को शरीर और तलवार, रक्त वाले वस्त्र आदि बांध कर पोटुला अपने सिर पर रख कर तुरन्त बाहर निकली। - गुप्त रीति से धरण भी पीछे 2 गया / उमा गठरी को कुएं में फेंक कर तुरन्त वापिस घर मा गई / धरण गहर खड़ा होकर विचारने लगा कि 'अहो ! कैसी इस स्त्री की क्रूरता और कुकर्मता है ?" इतने में तो उमा खिचड़ी प्रादि लेकर घर के द्वार को बन्द करके एकदम आगे बढ़ी / घरण भी कौतुक वश गुप्त रुप से पीछे 2 गया / उमा ने जल मार्ग द्वारा नगर से बाहर निकल कर निर्भयता से श्मशान पार करके गुफा में प्रवेश किया। दीपमाला से सुशोभित उसमें एक महल था / वहां सुन्दर प्रासन पर स्त्रियों के समूह में P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust