________________ नही। दोपहर में भूखे राजा तथा प्रवदूत ने भोजन किया / राजा ने / पूछा इस छोटी उम्र में आप योगी कैसे बने / श्रीचन्द्र कहने जिस मनुष्य का पेट भरा हुआ हो तो उसके शरीर में स्नेह, स्वर में मधुरता, बुद्धि, लावण्य, लज्जा, बल, काम, वायु की समानता, क्रोध का प्रभाव, विलास, धर्म शास्त्र, पवित्रता, माचार की चिन्ता, और देवगुरु नमस्कार ये सब बातें संभवित होती हैं। योग की साधना के लिये, गुदे के मूल में चार दल वाला प्राधार चक्र, चार अक्षर लिखने मध्य में 'ह' अधिष्ठान चक्र 6 कोने वाला; ब-भ-म-य-र-ल नाभि में मरिण पूरक चक्र दश दल में दस अक्षर, 'क से '. तक के कंठ में विशिद्धी सोला चक्र के सोला स्वर,ललाट में प्राज्ञा चक्र ह और स इस प्रकार योग की साधना की जाती है। जिसमें सकल संसार के हित के करने की शक्ति है, वर्ण रूप है जिसका ऐसे ब्रह्म वीज को नमस्कार करता हूं। . राजा इस प्रकार दिन और रात अवदत से चर्चा करते रहते हैं। परन्तु अपना पुत्र हैं यह नहीं जानते / अवदुत सारे राज्य का निरीक्षण करता है / किस समय वह अन्तपुर में गये होते हैं वहां जय पादि भाइयों ने मंत्रणा की कि राजा की प्रिया के दुख से मृत्यु होने वाली थी, परन्तु अवदूत ने आकर रोक दिया अब हमें राज्य किस तरह मिलेगा? एक ने कहा कि चार दिन में लाख का महल बनवावें वास्तु मूहुर्त के बाहने बीच के कमरे में शाजा को बैठाकर द्वार बंधकर उसे बला देवें / इस षडयंत्र को 'श्रीचन्द्र' ने अदृश्य रुप से सुन लियो / , P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust