________________ समीप जान कर उसे भव्य आराधना करायी। उसने सब जीव राशि को खमाया / चित्त की शुद्धि पूर्वक पापो की निन्दा की पुण्य की अनुमोदना की सात क्षेत्रों में दान दिया। चारशरण धारण किये / अनशन, ममता त्याग, ब्रह्मचर्यादि व्रत ग्रहण किये / इस प्रकार श्री देवी ने सुसमाधि पूर्वक मृत्यु का आलिङ्गन किया / लोगों ने उसके श्वसुर पक्ष का तिरस्कार किया जिससे श्रीधर नगर में मुह बताने योग्य नहीं रहा / सिंहपुर में धरण को विवाह के लिए कन्या प्राप्ति न होने से श्रीधर ने दूसरे नगर के एक ज्योतिषी की पुत्री उमा के साथ उसका विवाह किया। उमा अति उद्धत और क्रोधी स्वभाव वाली थी / सब के सामने बोलने लगती और हठ से घर का कोई काम नहीं करती थी। वात 2 में सब का दोष प्रगट करती रहती थी। उमा के सामने उसकी सासु नागीला की तो ऐसी दशा थी सेसी शेर के सामने बकरी की होती है / अब तो घर का सारा काम नागीला को ही करना पड़ता / कुछ काल के पश्चात सासु ससुर मृत्यु को प्राप्त हो गये। उमा ने माया भक्ति और युक्ति से पति को वश में कर लिया / भरण ने अपने मित्र सोम देव के सामने अपनी पत्नी की प्रशंसा की / जिसे सुनकर उसका श्रावक मित्र घोला / तुम्हारी बात सत्य हो परन्तु नीतिकारों का कथन है कि गुरु की प्रशंसा समक्ष करनी, मित्र व बन्धु की परोक्ष में करनी तथा पुत्र व स्त्री की मृत्यु P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust