________________ * 14 * आश्चर्य से इन सब बातों को कपट जाल समझ कर श्रीचन्द्र ने उस स्त्री को बाहर खेंचा और क्रोधित होकर पूछा, "यह कौन है, और तू कौन 'स्त्री ने भयभीत होकर कहा यह लोहखुर चोर है और मैं इसके संकेत से इसकी पुत्री हूँ। लोहखुर को शिक्षा देकर और बाद में खुश होकर उस स्त्री को छुड़ा कर चोर को छोड़ दिया और रात्रि कहीं और जाकर . व्यतीत की। ... प्रातःकाल अरिहंत भगवान का स्मरण करके महेन्द्रपुर नगर में प्रवेश किया। नगर में जाकर किसी सेठ की दुकान पर बैठ गये / उसी समय पटह बजने की आवाज सुनाई दी। इस पटह को बजते 6 महिने में 6 दिन कम है जो कोई व्यक्ति राजकन्या को देखती करेगा उसे निश्चय ही कन्या और राज्य मिलेगा। जिस प्रकार तोता रटी हुई बात बोलता रहता है उसी प्रकार सब बातें वह पटह वाला बोल गया। श्रीचन्द्र ने उसी समय पटह को स्पर्श किया पटह वाले ने यह हकीकत राजा से कही / राजा ने बड़ी खुशी से अवदत को छत्र, चामर, हाथी आदि सहित ले पाने का आदेश दिया। ... राजमहल में आकर राजा के दिये हुए आसन पर अवधूत बैठा त्रिलोचन राजा ने पूछा हे भद्र ! तुम कहां के रहने वाले हो ? श्रीचन्द्र ने कहा महाराज मैं कुशस्थल में रहता हूं। राजा ने कहा आपके चरण कमल आज मेरे नगर में पडे हैं मेरा अहो भाग्य है / पटह के अनुसार कन्या को देखती करके प्राधा राज्य स्वीकार करो / श्रीचन्द्र ने कहा यह तो ठीक है गुरुदेवों के प्रताप से मेरे पास विद्या, मंत्र और कुछ औषधियां हैं परन्तु कन्या को दिखाओ तब कुछ हो सके। . P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust