________________ नई GK जिसने 'पूर्व भव के स्नेह के कारण श्रीचन्द्र से विवाह किया वे श्रीचन्द्र जय को प्रोत' हों।" इत्योदितरह २'की बातें कर रहे थे। किसी में केहो कि श्रीचन्द्र तो सेठ पुत्र हैं परन्तु तुम" राजपुत्र कैसे कह रहे हों पर दुसरे ने ' कहा कि मैं जब कुशस्थल" में "था तब पद्मिनी चन्द्रकला का नगर प्रवेश हुआ, श्रीचन्द्र ने वीणारव' को दान दिया 'सबको"बड़े मादर से भोजन करवाया। उसके बाद दूसरे दिन बिना किसी को कहें। विदेश चले गये। कुछ ही दिनों में 'ज्ञानी'महाराज' वहां पाये उन्होंने अपने मुखाविन्द से फरमाया कि श्रीचन्द्र प्रतापसिंह और सूर्यवती के पुत्र हैं और वह विदेश भ्रमण के लिये गये हैं।" एक वर्ष बाद राजा और रानी से मिलेंगे। ऐसा जानकर राजामौर रानी मादि सवको जानकर बहुत प्रसन्नता हुई। सबकवि भाट भी इसी प्रकार से स्तवना करते हैं। : : :: :: ' #1 " इन सब बातों को सुनकर श्रीचन्द्र बहुत आनन्दित हुए। मौर सोचने लगे ये सब बातें ज्ञानी महाराज ही जान सकते हैं। 'उस शुभे" संदेश सुनाने वाले को बहुत सा दान दिया तथा दूसरों को घी और गुई देकर उसी वेश में आगे के लिये रवाना हो गये। किसी जगह दृश्यमान होकर और कही "अदृश्य होकर चलते हुए एक भयंकर जंगल में पहुंचे। रात्रि व्यतीत करने के लिये एक बड़े वृक्ष के नीचे अपनी डेरा डाल दिया। उसे वृक्ष पर तोतों को स्थाने ' यारात्रि शुरु होते ही सब दाना चुग 2 करें"बागये। वे सब पापस में हंसी खुशी से तरह 2 की बातें करने लगे। उनमें से एक ने पूछा अच्छा यह बतायो .कि.कौन, 2, कहां.,२ गया, था। उनमें से एक वृद्ध तोता जो है, 11. TE:-in 1-75T 101 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust