________________ सुमित्र चरित्रम् // 83 // DDOOGODDDDDDDDDDDDDDDD ___अर्थ-पछी शुभ मुहूर्त जोइने श्रेष्ठ एवा हस्तीपर आरोहण करी कनकना तोरण तेमज वंदनमालिकावाळा पोताना विशाळ नगरमां माता सहित तेणे प्रवेश कर्यो. // 218 // इति श्रीहर्षकुंजरोपाध्यायविरचिते दानरत्नोपाख्याने श्रीसुमित्रचरित्रे मूर्खापगमराज्यपट्टाभिषेकस्वकुलकमायातमूलराज्यवालनवर्णनो नाम द्वितीयः प्रस्तावः // श्रीरस्तु॥ - ----Nover ॥अथ तृतीयः प्रस्तावः प्रारभ्यते // प्रियंगुमंजरीमुख्याः / सर्वा वध्वः पदेऽलगन् // श्वश्रूहिताशिषं प्राप्य / चित्ते मुमुदिरेतरां // 1 // | अर्थ-प्रीतिमती माताने प्रियंगुमंजरी विगेरे सर्वे बहुओ पगे लागी अने सासुनी हिताशिष पामीने घणी हर्षित थइ. // 1 // स्वपुत्रश्रियमालोक्य / पुरुहतचिसन्निभां / / माता प्रीतिमती तत्र / निःसीमां प्रीतिमाप सा // 2 // . . अर्थ-मीतिमत्ती माता पण इंद्रना जेवी पोताना पुत्रनी ऋद्धि जोइने अत्यंत हर्षने पामी. // 2 // कुर्वाणमिति साम्राज्यं / श्रीसुमित्रं सुरेंद्रेवत् // सभासीनं प्रतीहार | एकदा तं व्यजिज्ञपत् // 3 // अर्थ-ए प्रमाणे सुमित्रराजा इंद्रनी जेम राज्य पाळे छे. एकदा ते राजसभामां बेठेल छे तेवामां प्रतिहारीए आवीने विज्ञप्ति न | करी के-॥ 3 // DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDED // 83 // PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust