________________ चरित्रम | तावत्तया बभाषेऽथ / को भवान् कुत आगतः // क्षत्रियोऽहं दूरदेशा-दत्रागां भाग्ययोगतः // 70 // . अर्थ-तेवामां ते स्त्रीज बोली के-'तमे कोण छो? क्याथी आवो छो?' कुमारे कछु के-हुँ क्षत्रिय छु अने भाग्ययोगयी | दूर देशथी अहीं आव्यो छु.॥७॥ इत्युक्त्वा तां पुनःप्रोचे / कुमारः कलया गिरा // किमेतन्नगरं शून्यं / विश्वालंकारसन्निभं // 71 // अर्थ-आ प्रमाणे कहीने कुमारे सुंदर वाणीवडे तेने पूज्यु के-विश्वमा अलंकारभूत एवं आ नगर शून्य केम छे ? / / 71 // नवमीहशेन रूपेण | स्वरुपेण जितेंदिग // पुरे निर्मानुषे ब्रूहि / वसस्येकाकिनी कथं // 72 // ____ अर्थ-वळी तुं आवा रुपवडे लक्ष्मीने पण जीतनारी आ निर्मानुष्य नगरमा एकली केम रहे छे ? // 72 // कन्या पुनरभाषिष्ट / शृणु सौभाग्यसागर // आमूलचूलवृत्तांतं / ममास्य नगरस्य च // 73 // ___अर्थ-त्यारे कन्या बोली के-हे सौभाग्यसागर ! आ नगरनो ने मारो मूळयी छेडा सुधोनो वृत्तांत हुं कहुं ते सांभळो ? 73 / इदं श्रीकनकं नाम / पुरं पुरगुणांचितं / / यच्चैत्यकेतुभिर्लक्षम्या। तय॑ते सुरपूरलं // 74 // अर्थ-आ श्रीकनक नामर्नु नगरना गुणोवाळ नगर छे के जे चैत्यपर रहेलो ध्वजाओनी शोभावडे जाणे देवनगरनी तर्जना करतुं न होय ! // 74 / / खरूपजितकंदों / भूपः श्रीकनकध्वजः // अत्रासीद्विगसत्रास-त्रासितारातिमंडलः // 75 // ODDOOOOOD ERODODARनन ED P.PAC Gunturi MS. Jun Gun Aarachak Trust