________________ स्त्रीचरित्र. की सम्मतिसे अकबरने फिर कोई सेना कभी नहीं भेजी महाराणाने सुखपूर्वक बारह वर्ष पर्यन्त राज्यकिया और सम्वत् 1653 माघ शुदीमें प्राण त्याग करते समय महाराणाने अपने पुत्रको शिक्षा दो को, .. जबलौंजगमें मान तबहिं लौ प्राणधारियो। जबलौं तनमें प्राण न तबलौं धर्म छाडिये॥ जबलौं राखे धर्म तबहिं लौं कीरति पावै / / जबलौं कीरति लहै जन्म स्वारथ कहवावै हे वत्स! सदा वंशकी मर्यादा निर्वाहियो। या तुच्छ जगत सुखकारनै नहिं कुलनाम हंसाइयो // 7 // महाराणा प्रतापसिंहजीका जीवन चरित्र मुंशी देवी प्रसाद मुन्सिफ जोधपुरने भलीभाँति लिखा है. तथा कवि गणपतिराम राजारामने गुजराती प्रताप नाटक में भा महाराणा प्रतापसिंहजीका जीवन समाचार लिखा है, **P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Gun.Aaradhak Trust: