________________ भाषाटीकासहितं. - अर्थ कन्या अपने पतिसे कहती है कि, हे पते, तुझारी वृद्धि के लिये और तुमको अपने वश करनेके लिये मैं अग्निमें इन खिलों का हवन करती हूं, इन दोनों मेरे मनोरथोंको आमि देवता सफल करो // 3 // - जब इन मंत्रोंको कन्या विवाहके समय कहती है तो कन्याका पढना विवाहसे पहले सिद्ध हुआ. औरभी देखो दश उपनिषद वेदका ब्रह्मभाग है सो बृहदारण्य उपनिषद्में याज्ञवल्क्य और उनकी स्त्री मैत्रेयीका ऐसा संवाद है कि, याज्ञवल्क्यजी अपनी स्त्री मैत्रेयिसे बोले हे मैत्रेयि ! इस गृहस्थाश्रमको छोडकर मेरी इच्छा सन्यास लेनेकी है इस कारण मैं तेरा और दूसरी स्त्री जो कात्यायनी है, दोनोंके बीच पृथक् पृथक् धनका विभाग करता हूं, जिससे कि तुम दोनोंमें विवाद न होय, यह सुन मैत्रेयोने कहा, हे भगवान! जो यह सब पृथिवी मेरेपास धनसे परिपूर्ण होय तो क्या मैं अमर होजाऊंगी, तब याज्ञवल्क्यजीने उत्तर दिया कि यह बात तो धनसे P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. . . Jun Gun Aaradhak Trust