________________ भाषाटीकासहित तथाच // मू-अज्ञातपतिमर्यादामज्ञातपतिसेवनम् // नोहाहयेत्पिता बालामज्ञात धर्म शासनाम् // 49 // - अर्थ-कन्या जब तक पतिकी मर्यादाको न जाने और पतिकी सेवा को नहीं जाने तथा धर्मकी आज्ञाको नहीं -जाने, तबतक पिता उस कन्याका विवाह नहीं करै // 49 // अब विचारना चाहिये कि पतिकी मर्यादाको और पतिकीसेवा व धर्मशास्त्रकी आज्ञाको क्या पढे लिखे विना कन्या जान सकती है, / और भी विचारने योग्य है कि विवाह पद्धतिकी व्याख्या ब्राह्मण सर्वस्वमें ऋग्वेद और यजुर्वेदकी ऋचा है सो उसमें तीन मंत्र विवाहमें खीलोंसे हवन करनेके समय कन्या पढती है, उनसे कन्याका पढना अवश्य - पाया जाता है, / वे मंत्र ये है,। - अर्यम्णं देवं कन्याग्नि मयक्षत। सनो .P.P.AC. Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak Trust