________________ स्त्रीचरित्र विपत्तिका अर्थ दूर होकर अच्छे पदका अर्थ आया अर्थात् वानरोंकी सेना तुझको अच्छे पदको जानेगी अब बिचार करना चाहिये कि ऐसे बड़े भारी पंडित रावणको एक बातमें सीताजीने निरुत्तर किया, ऐसा उत्तर क्या विना पढे दिया जासकाता हैं एवं जिस समय रावणने सीताजीसे कहा कि, मू-मुग्धे मैथिलि चंद्र सुंदर मुखि प्राण प्रयाणौषधि / प्राणान् रक्ष मृगाक्षि मन्म। थनादिप्राणेश्वरि त्राहिमाम् ॥रामश्चुम्बति ते मुखं च सुमुखे नैके न चाहं पुनश्चुम्बिष्यामि तवाननं वहुविधैर्मुञ्चाग्रहं मानिनि // 43 // अर्थ-हे मैथिलि ( सीते) हे चन्द्र समान सुन्दर मुखवाली! हे निकलतेहुये प्राणोंकी औषधि! तू मेरे प्राणों की रक्षा कर हे मृगनयनी ! हे मदनकी नदी हे जीवितेशे! तू मेरी रक्षा कर हे मानवती ! रामचन्द्र तो