________________ स्त्रीचरित्र. मन्दोदरी. *. एवं मन्दोदरीका चरित्र देखनसे प्रतीत होता है, कि वह भी पढीहुई थी, उसने अपने पति रावणको बहुतसे नीतियुक्त वचनोंसे समुझाया, वाल्मीकीय रामायणके लंकाकाण्ड सर्ग 59 में लिखा है, कि जिससमय प्रहस्तराक्षस युद्धमें मारागया, उस समय मन्दोदरीने सभामें आकर रावणसे यह कहा कि, पिताके वचनसे श्रीरामचन्द्र छोटे भाई लक्ष्मण सहित दण्डकवनमें आये हैं, और ब्रम्हचर्ययुक्त होकर बनमें रहते हैं, उनकी स्त्रीको बनसे तुम हर लाये विना अपराध ऐसा करनेसे महापाप होता है, क्योंकि पतिव्रताके रोकनेसे बडा दोष है, हमारी इस बातमें आपके मंत्रियोंकीभी सम्मति है कि रामचन्द्रकी भार्या रामचन्द्रको दे दीजाय, यही महात्मा बिभीषणनेभी आपसे कहा था कि रामचन्द्रजी स्त्री उनको दे दीजाय, हमारा कहना मानो और रामचन्द्रको वस्त्र और रत्नसहित सीताजीको देकर वार्ता शुभके देनेवाली हैं और अशुभ संशयको प्राप्त होकर जो जय प्राप्त होती है P.P.AC. Gunratnasiri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust