________________ 208 स्त्रीचरित्र 1880 में सुगतराव अलिजाह जनकुजी सेंधियाकी पदवीसे सुशोभित होकर ग्वालियरके राज्यसिंहासनपर विराजमान हुये, बैजाबाईने अपना सब द्रव्य औरनौकर चाकर लेकर आगरेमें निवास किया, परंन्तु ग्वालियरके इतने समीप रहने पर सबको भय था, कि राजसेनाको पकडाकर बाई कुछ उपद्रव न खडा करै यह विचार आ पडनेपर सरकार अंगरेजने बाईके उच्च पदके अनुसार पेंशन नियत करके फरुखाबाद रहनेकी आज्ञा दी, कुछ समय उपरान्त दरबार ग्वालियरने इस शर्तके अनुसार राजकी आमदनीमेंसे बाईको वार्षिक देना स्वीकार किया कि, वह दक्षिणमें अपनी जागीरमें जाय वसै, बाईने यह शर्त मंजूर कर ली, और वही, ईसवीमें जब उपद्रव हुवा उस समय वाईने वागियोंसे सेंधियाके कुलवालोंकी रक्षा की, और उनके प्राण वचाकर छिपरा नदीके किनारे भाग गई, अनन्तर कुछही दिन उपरान्त वाईका परलोक होगया. P.P.AC: GunratnasuriM.S.. Jun Gun Aaradhak Trust