________________ स्त्रीचरित्र. ब भेद खुलगया, तब वह लज्जित होकर लौट आया कृष्णकुमारीकी माता उस निरपराधिनी कन्याके मारने वालोंको सहस्रों दुर्वचन कहने लगी, और रोने लगी, परन्तु वह वोर कन्या अपने पितावंश और देशके हेतु आपही मारनेको उद्यत होगई, अनन्तर कृष्णकुमारीको - वीसे मारनेके बदले विष देनेका विचार किया गया, एक रोतेहुये सेवकने रानाकी आज्ञासे विषका प्याला लाकर कृष्णकुमारीके हाथमें दिया, कृष्णकु. रोने अपने मनको दृढ करकै पिताकी आयु धन सम्पत्तिको वृद्धिके निमित्त परमात्माकी प्रार्थना करके उस विषको पीलिया, और आंखोंसे एक आंसू तक * नहीं निकला, जब माता उसके वधिकोंको दुर्वचन - कहती, तो कृष्णकुमारी समझती, हे माता तुम क्यों इतना शोक करती हो, क्या मैं तुह्मारी पुत्री नहीं हूं जो मृत्युसे भय करूं, पिताजीकी अत्यन्त कृपा थी, जो मुझे इतने दिनों तक जीता रक्खा इस प्रकार अनेक बात कहकर माताको समझाती थी, जब एक प्यालास Gun Aaladlak Trust P:AC.GunratnasuriM.S.