________________ 200 स्त्रीचरित्रः मनुष्योंका उपकार बाईके हाथसे होता था, बाईका नाम -सब प्रजाके हृदयमें अंकित था, घर घरमें बाईकी प्रशंसा होती थी, बाई अपनी प्रशंसाको सुनकर प्रसन्न नहीं होती थी, एक विद्वान पंडित बाईकी प्रशंसा में एक ग्रन्थ बनाकर ले गया, उसको बाईनें ध्यानपूर्वक सुना, और कहाकी मैं एक पापिनी स्त्री हूं, इस योग्य नहीं कि जो तुमने मेरी इतनी प्रशंसा लिखी, यह कह उस ग्रन्थको नर्बदामें डुबे देने की आज्ञा देदी, और पंडितको ग्रन्थ बनानेके परिश्रममें धन देकर बिदा किया, और कह दिया कि पंडित जी ? मनुष्यकी व्यर्थ प्रशंसा करने में अपना अमूल्य समय न विताया करो. - अकबर ऐसा बुद्धिवान था कि जिसकी प्रसंसा बहुत लोग करते है, परन्तु उसनेमी अपनी झूठी प्रशंसा क स्नेवालोंकी जिव्हा न पकडी, अचुकफजलने जो वृथा -प्रशंसा अकबरकी लिखी, उसको देख सुनकरमी अक बरने कुछ न कहा, और अपनी झूठी प्रशंसावाले ग्रंथको रहने दिया, परन्तु इस बातमें बाई कहीं बढकर हुई. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. . Gun Aaradhak