________________ - 182 स्त्रीचरित्र. - शमशेर इनका मजहवी खयाल तवदील होसकता है, हर्गिज नहीं, बल्कि खौफ है, कहीं उल्टी आग न भभक उठै, इसको मिटाने, इनको मुसल्मान वनानेकी अगर दुयियांमें कोई तदवीर है तो यही कि इनसे नाता रिश्ता वढाकर इनके दिलसे अपनी तरफसे नफरत दूर करना, इनके मजहबकी तारीफ करके इनकी मजहवी तकरीवोंमें शिरकत करके इनकी निगाहमें खुद हिंदू वनकर कुल परहेजोंको दफा करना, हाय, हमारे ना आकवत अन्देश मुसल्मान भाई हमारी इस दूरन्देशी पर तो खयाल करते नहीं, और हमहींसे नाखुश होते हैं. हों- मगर मैं अपनी इस चालको नहीं तवदील कर सकता... अकबर अगर तुझपर खुदाकी मेहरवानी हो और पूरी उम्र आता हो तू सावित करके दिखला कि तैन मुसल्मानी सल्तनतकी मेख हिंदमें किस कदर मजबूती के साथ गाडी है, और इन काफिरोंके मजहवमें दीन इस्लामिया की वू किस तरह मह कर दी है, इस प्रकार P.P.AC. Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust.