________________ 164 स्त्रीचरित्र. पकड लेवें, यह विचारकर अपनी छातीमें वर्ची मार ली. और प्राण परित्याग करदिया, शूर वीर लोग अपनी प्रतिष्ठाको अपने प्राणोंसेभी अधिक समझते हैं, जब महारानीने प्राण त्याग दिया तब सेनापति आदिकोंने अपनी स्वामिनीके मृतक शरीरके ऊपर युद्ध करके शत्रुओंके हाथसे कटकर प्राण त्याग किये और पीठ नहीं दिखाई, महारानी दुर्गावतीकी समाधि अबतक पर्वतोंके वोचमें बनीहुई है, जहां संग्राम हुआ था वहां दो खंभे पत्थरके खडे हुये हैं अर्धरात्रि समय भयंकर शब्दभी वहां कभी कभी सुन पडता है, जो पथिक वहां होकर निकलते हैं, वे विल्लौरी पत्थरके चमकीले टुकडे जो वहां बहुत पडे हैं,उनमें से एक दो टुकडे उठाकर महारानीकी समाधि पर चढाते हैं, और महारानीको स्मरण करते हैं, चांदवीवी. . महारानी दुर्गावतीकी देखा देखी अहमद नगर को चांदवीवीने भी मुंह पर पर्दा डाल, नंगी तलवार हाथम लेकर अपनी सेना सहित शत्रुओंके सन्मुख गई, आर .... pp.AC.GunratnasuriM.S. . un Cum Aaradhak Trus