________________ स्त्रीचरित्र. 158 इतना स्नेह प्रेम बढा कि बाजबहादुर राजकाजसे अचेत होकर रात दिन उसीके संग भोग विलासमें रहने लगे, बाजवहादुरने अपनी प्रियाके निवास करनेको जो रंगमहल बनवाया था, उसको खंडरूप चिन्ह आज तक वहां मौजूद हैं, उन दोनोंके अगाध प्रेममें अकबर बादशाहकी राजतृष्णाने दैवी गधा डाल दो,विक्रमीय सम्वत् 1647 में अकबरने आदमखांको मालवा विजय करनेके लिये भेजा जब आदमखां दिल्लीसे सेना लेकर मालवे पर चढ आया, तव वाजबहादुरने शारंगपुरमें सेना इकट्ठी की, परंतु वाजबहादुरके सिपाही युद्धसमय तलवारका मुंह देखकर भाग गये, तो वाजबहादुरभी निराश होगया और खेत छोडकर चला आया, आदमखांने विना परिश्रमही हाथी, घोडे और खजाना तथा महलको अपने आधीन कर लिया, आदमखांने रूपमती के रूप और गुणकी प्रशंसा सुन रख्खी थी इस कारण चाहता था कि रूपमती हमारे हाथ लगे, परंतु आदम खांकी यह अभिलाषा पूरी न हुई, रूपमतीने विना वाज Ac. Gunratnasuri.M.S. Jun Gun Aaradhak Trust