________________ 1.7 भाषाटीकासहित. नीलदेवीने आकर कहा, पुत्रकी जय हो क्षत्रिय कुलकी जय हो बेटा हमारी एक बात सुनलो, तब यात्रा करो. .' सोमदेव-(प्रणाम करके ) माता, जो आज्ञा हो. नीलदेवी-पुत्र, यह तुम भलीभाँति जानते हो कि, यवनसेना बहुत बडो है, और यह भी तुम जान चुके हो कि, जिस दिन महाराज पकडे गये, उसी दिन बहुतसे राजपूत निराश होकर अपने घरको चले गये, इससे मेरी बुद्धिमें यह बात आती है कि, इनसे एकही वार सन्मुख युद्ध न करके कौशलसे युद्ध किया जाय तो - अच्छी बात है.' 2. सोमदेव-(कुछ क्रोध करके ) तो क्या हम लोगोंको यह सामर्थ्य नहीं है जो युद्धमें यवनोंको जीत .. - सब क्षत्री- क्यों नहीं ? नीलदेवी-(शान्त भावसे ) पुत्र, तुह्मारी सर्वदा जय है, हमारे आशीर्वादसे तुह्मार कहीं पराजय नहीं है, किन्तु माताकी आज्ञा माननीभी तो तुमको योग्य है. सब क्षत्री-अवश्य अवश्य P.P. Ac. Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak Trust