________________ . LA . 34 स्त्रीचरित्र. * दुखही दुख करि है चारो ओर प्रकाशा। अब तजहु वीरवर भारतकी सब आशा // 1 // इत कलह विरोध सबनके हियधर कार है। मूरखताको तम चारिहु ओर पसारि है। वीरता एकता ममता दूरसे धरि है। तजि उद्यम सबही दास वृत्ति अनुसरि है // व्है जै हैं चारौ वर्ण शूद्र पनि दासा / अब तजहु वीरवर भारतकी सब आसा॥२॥ व्है हैं इतके सब भूत पिशाच उपासी। कोउ बनिजै हैं आपुहि स्वयं प्रकासी॥ नशिजै हैं सिगरे सत्यधर्म अविनासी। निज हरिसों व्है हैं विमुख भरत मुवि वासी // तजि सुपथ सबहिं जन कार कुपथविलासा। अब तजहु वीरवर भारतकी सब नासा // 3 // अपनी वस्तुन कहं लखि हैं सबहि पराई। P.P:AC.GunratnasuriM.S Jun Gun Aaradhak Trust