________________ स्त्रीचरित्र. परन्तु यह सामर्थ्य उनकी न हुई कि, आज क्षत्रिय . . . इसी क्षण उनका शिर देहसे भिन्न कर दिया जाता, - किन्तु दूतको मारना उचित नहीं है, इसी कारण तुमारे ये वचन सह लिये गये (क्रोधसे) वस अब तू उस नारी जातिके अपमानकारीसे कह दे कि वह युद्धके लिये तैयार हो रहे, यह सुन वह दूत गर्वके साथ कुछ कहता हुवा चला गया, अनन्तर वीर महारानीने युद्धक्षेत्रमें जानेको पूर्ण प्रबंध किया और सेनाके साथ युद्धक्षेत्रमें जाकर युद्ध किया और शत्रु सेनाको मारकर भगा दिया, एक बाण रानीके पांवमें आकर लगा, उसको निकाल कर रानीने फेंक दिया, भागी हुई यवन सेना जब फिर एकत्रित हुई और युद्ध करनेको प्रस्तुत हुई तब वीर महारानीकी ओरसे रसदकी कमी होगई थी, कुछ प्रबन्ध न हो सकता था, तो भी वीर क्षत्रियोंने महा घोर युद्ध किया, एक एकने अनेक अनेक यवनोंका शिरच्छदेन करके समर भामिमें प्राण परित्याग किया, P.P.AC.GunratnasuriM.S. Gun Aaradhak Trust