________________ 84. iran n स्त्रीचारत्र. कामके लिये कदाचित् घरपर आजाय, नहीं तो सर्वदा सन्ध्यासमय दूकानसे आया करताथा. दिनभर बैठे। रहने के कारण रातको आतेही भोजन करके साहूकार सो रहता था. कभी कभी बहुत खिझानेसे उठकर सेठानीजी बात चीत करलेताथा पातु सेठानीजीका मन महीं भरता था. कारण यह कि साहूकारकी अवस्था पचास वर्षकी थी, और सेठ नीजी वीम वर्षकी पट्टी, एक तो अवस्था अधिक, दूमरे दिनभर बैठे रहनेके कारण साहूकार नपुंसकसा होगया था. प्रायः सुना जाता है, कि जो पुरुष पलथी मारकर बहुत बैठा रहता है वह नपुंसकसा हो जाता है, साहूकारका हाल देखकर उसकी स्त्री सुखदेईका चित्त दुःखी रहता था. एक दिन सुखदेईने अपने मन में विवार किया कि, सुख भोगकी अवस्था यही है, क्यों यह अ. पनी अवस्था मैं व्यर्थ दुःखमें बिताऊं. कुछ दिन तो मुख से भोग विलासकर लूं, अभी मेरा पतिभी जीता है, इस अपने पतिरूप टट्टीकी आडमें होकर सब तरहकी शि. कार खेल सकती हूं. यह विचार कर सेठानीने कोठेपर Gun Aaradhak,Trust.. naSUIMS.