________________ कुर्तीकी जेवमें डालकर मुनारसे बोली, अभी सवेग है, जल्दी इस मटकेको इमारे घर पहुँचादो. उन विनासींग पूंछके बैलने वह मटका अपने शिरपर रखलिया. जब बाजारमें पहुंचा तो पूरी कचेरी बनानेवाला एक ब्राह्मण अपनी दूकानपर बेटा कडाही थाली आदि बर्तन धो रहाथा, इस सुनारको सुथरे कपडे पहिने शिरपर एक कोरा मटका धरे आता हुआ देखकर विचार करने ल aa कि, इस मटके में क्या है, एक बुढिया भी इसके आगे आगे चली आरही है, यह बात क्या है, ऐमा सोचकर सुनारकी ओर टकटकी बांधकर देखने लगा, सुनार दूरहीसे उस ब्राह्मणको टकटकी लगाये देखकर मनमें सकुचाया. क्योंकि उस ब्राह्मण और सुनारकी जान पहिचान थी. जब सुनार उसकी दूकान के नीचे आया जहाँ वर्तन धो. नेसे कीच होरहीथी, वहां आतेही सुनारने दूमरी ओरको . मुंह फेर लिया ज्योंही मुंह फेरा त्योंही कीचमें पांव फिसला, और धड़मसे पृथ्वीपर गिर पडा, मटका गया, उसमेंसे वह मस्ताना छैला निकाल पढ़ा, और झटपट P.P. Ac. Gunratnasuri Jun Gun Aaradhak Trust