________________ 140 स्त्रीचरित्र. मित्र सुखदर्शनका वचन सुनकर मदनमोहन बोला दोहा-नूपुर कंकण किंकिणी, बोलत मधुरे बैन। काके मन नहीं वश करें, मृगनयन के नैन // 35 // / " यह मुन सुखदर्शन कहने लगा, हे मित्र / यह तुह्मारा कहना ठीक है, परन्तु जो पंडित है, वे स्त्रियोंके कटाक्षरूपी बाणोंकी मार नहीं खाते, किसी कविका वचन है. 'छप्पय / करत योग अभ्यास आपमन कसकर राख्यौ / पारब्रह्ममें प्रीति प्रगट जिन यह सुख चाख्यौ // तिनको तियके संग कहा सुख बातन व्है है // कहा अधर मघुपान कहा लोचन छबि कै हैं / मुखकमल श्वास सौगन्धकहा कह कठिन कुचको परस॥ परिरंभन चुम्बन कहा जोगी जन मन एकरस // 36 // दोहा-तीनिलोक तिहुकालमें, मना मनोहर P.P.AC.Gunrat Jun Gun AaradhakTrust .. ..